
प्रतीकात्मक तस्वीर
इंदौर:
मध्य प्रदेश के इंदौर में मैक्सिकन नागरिक समेत तीन लोगों के 10.91 किलोग्राम फेंटानिल हाइड्रोक्लोराइड (एक प्रकार का मादक पदार्थ) के साथ पकड़े जाने के बाद पुलिस और खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गये हैं. मादक पदार्थों के अवैध वैश्विक बाजार में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की आंकी जा रही यह खेप राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) ने बड़ी मुहिम के तहत पकड़ी है. पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) हरिनारायणचारी मिश्र ने बताया "हमारी डीआरआई के अधिकारियों से इस मामले में चर्चा हुई है. हमें बताया गया है कि फेंटानिल हाइड्रोक्लोराइड मादक पदार्थों की श्रेणी में आता है जिसका आमतौर पर इस्तेमाल दवाएं बनाने में किया जाता है."
बहरहाल, मीडिया की कुछ खबरों में फेंटानिल हाइड्रोक्लोराइड को अत्यंत घातक बताते हुए दावा किया गया है कि रसायन हमले में इस पदार्थ का इस्तेमाल किये जाने पर बड़ी तादाद में लोगों की मौत हो सकती है. इस बारे में पूछे जाने पर डीआईजी ने कहा, "हम अपने स्तर पर मामले की जांच कर रहे हैं. जरुरत पड़ने पर गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ भी की जायेगी." उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक प्रदेश पुलिस की कुछ खुफिया एजेंसियां भी इस मामले में डीआरआई के सम्पर्क में हैं. मामले में गिरफ्तार मैक्सिकन नागरिक और इंदौर के दो बाशिंदे एक स्थानीय अदालत के आदेश पर पांच अक्तूबर तक डीआरआई की हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ की जा रही है. इन्हें एनडीपीएस एक्ट के मामलों की विशेष अदालत में 28 सितंबर को पेश किया गया था.
डीआरआई सूत्रों ने बताया कि इनकी पहचान जॉर्ज सॉलिस (43), मोहम्मद सादिक (59)और मनु गुप्ता (45) के रूप में हुई है. सॉलिस मैक्सिको का नागरिक है, जबकि सादिक और गुप्ता इंदौर के ही रहने वाले हैं. दोनों स्थानीय आरोपियों के अलग-अलग परिसरों से कुल 10.91 किलोग्राम फेंटानिलहाइड्रोक्लोराइड जब्त किया गया है जो एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक इस मादक पदार्थ की बहुत बड़ी अवैध वाणिज्यिक मात्रा है.
सूत्रों के मुताबिक डीआरआई इनकी निशानदेही पर पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि वे फेंटानिल हाइड्रोक्लोराइड बनाने के लिये कच्चा माल किन लोगों से खरीदते थे. इनके कब्जे से जब्त मोबाइलों की अपराध विज्ञान प्रयोगशाला से जांच भी करायी जा रही है, ताकि इनके बीच हुए संवाद और इनके संपर्क सूत्रों के बारे में जानकारी मिल सके. डीआरआई सूत्रों ने बताया कि आरोपियों में शामिल सादिक रसायन शास्त्र में पीएचडी उपाधि धारक है. उसका यहां पोलोग्राउंड औद्योगिक क्षेत्र में प्रयोगशाला के रसायन और वैज्ञानिक उपकरणों का कारखाना है. आरोप है कि इस इकाई की आड़ में फेंटानिल हाइड्रोक्लोराइड बनाया जा रहा था, जबकि इस मादक पदार्थ के निर्माण के लिए आरोपी के पास कोई लाइसेंस नहीं था.
सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियां हैरत में हैं कि इंदौर के एक मामूली-से दिखने वाले कारखाने में फेंटानिल हाइड्रोक्लोराइड किस तरह तैयार किया जा रहा था, क्योंकि इसे बनाने के लिये उच्चस्तरीय दक्षता की आवश्यकता होती है. जानकारों ने बताया कि फेंटानिल बेहद शक्तिशाली मादक पदार्थ है जिसका इस्तेमाल दर्दनिवारक दवाएं और निश्चेतक बनाने में किया जाता है. अन्य मादक द्रव्यों के साथ इसके अलग-अलग मिश्रण अवैध तौर पर तैयार कर इसका उपयोग नशे के लिये भी किया जाता है. बहरहाल, नशे के लिये बेहद कम मात्रा में इसका इस्तेमाल होता है. इसका ओवरडोज जानलेवा साबित हो सकता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बहरहाल, मीडिया की कुछ खबरों में फेंटानिल हाइड्रोक्लोराइड को अत्यंत घातक बताते हुए दावा किया गया है कि रसायन हमले में इस पदार्थ का इस्तेमाल किये जाने पर बड़ी तादाद में लोगों की मौत हो सकती है. इस बारे में पूछे जाने पर डीआईजी ने कहा, "हम अपने स्तर पर मामले की जांच कर रहे हैं. जरुरत पड़ने पर गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ भी की जायेगी." उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक प्रदेश पुलिस की कुछ खुफिया एजेंसियां भी इस मामले में डीआरआई के सम्पर्क में हैं. मामले में गिरफ्तार मैक्सिकन नागरिक और इंदौर के दो बाशिंदे एक स्थानीय अदालत के आदेश पर पांच अक्तूबर तक डीआरआई की हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ की जा रही है. इन्हें एनडीपीएस एक्ट के मामलों की विशेष अदालत में 28 सितंबर को पेश किया गया था.
डीआरआई सूत्रों ने बताया कि इनकी पहचान जॉर्ज सॉलिस (43), मोहम्मद सादिक (59)और मनु गुप्ता (45) के रूप में हुई है. सॉलिस मैक्सिको का नागरिक है, जबकि सादिक और गुप्ता इंदौर के ही रहने वाले हैं. दोनों स्थानीय आरोपियों के अलग-अलग परिसरों से कुल 10.91 किलोग्राम फेंटानिलहाइड्रोक्लोराइड जब्त किया गया है जो एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक इस मादक पदार्थ की बहुत बड़ी अवैध वाणिज्यिक मात्रा है.
सूत्रों के मुताबिक डीआरआई इनकी निशानदेही पर पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि वे फेंटानिल हाइड्रोक्लोराइड बनाने के लिये कच्चा माल किन लोगों से खरीदते थे. इनके कब्जे से जब्त मोबाइलों की अपराध विज्ञान प्रयोगशाला से जांच भी करायी जा रही है, ताकि इनके बीच हुए संवाद और इनके संपर्क सूत्रों के बारे में जानकारी मिल सके. डीआरआई सूत्रों ने बताया कि आरोपियों में शामिल सादिक रसायन शास्त्र में पीएचडी उपाधि धारक है. उसका यहां पोलोग्राउंड औद्योगिक क्षेत्र में प्रयोगशाला के रसायन और वैज्ञानिक उपकरणों का कारखाना है. आरोप है कि इस इकाई की आड़ में फेंटानिल हाइड्रोक्लोराइड बनाया जा रहा था, जबकि इस मादक पदार्थ के निर्माण के लिए आरोपी के पास कोई लाइसेंस नहीं था.
सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियां हैरत में हैं कि इंदौर के एक मामूली-से दिखने वाले कारखाने में फेंटानिल हाइड्रोक्लोराइड किस तरह तैयार किया जा रहा था, क्योंकि इसे बनाने के लिये उच्चस्तरीय दक्षता की आवश्यकता होती है. जानकारों ने बताया कि फेंटानिल बेहद शक्तिशाली मादक पदार्थ है जिसका इस्तेमाल दर्दनिवारक दवाएं और निश्चेतक बनाने में किया जाता है. अन्य मादक द्रव्यों के साथ इसके अलग-अलग मिश्रण अवैध तौर पर तैयार कर इसका उपयोग नशे के लिये भी किया जाता है. बहरहाल, नशे के लिये बेहद कम मात्रा में इसका इस्तेमाल होता है. इसका ओवरडोज जानलेवा साबित हो सकता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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