- बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के नजदीक आने पर राजनीतिक हलचल बढ़ गई है
- चुनाव आयोग पर विपक्षी दलों ने एकतरफा और भ्रमित नीति अपनाने का आरोप लगाया है.
- तेजस्वी यादव ने आयोग की वोटर लिस्ट प्रक्रिया को सवालों के घेरे में रखा है.
- तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से समय मांगने की बात की, लेकिन कोई स्पष्टता नहीं मिली है.
बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आते ही सियासी हलचल तेज हो गई है. चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे गहन वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन को लेकर विवाद गहरा गया है, जिसमें विपक्षी दलों ने आयोग पर एकतरफा और भ्रमित नीति अपनाने का आरोप लगाया है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने NDTV से खास बातचीत में आयोग की नीति पर सवाल उठाए हैं.
NDTV से एक्सक्लूसिव बातचीत में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, 'आखिरी बार इस तरह की प्रक्रिया 2003 में हुई थी और तब इसे पूरा करने में लगभग 2 साल लगे थे. बिहार विधानसभा चुनाव नवंबर में होने वाले हैं और नोटिफिकेशन आने में केवल 2 महीने बचे हैं. चुनाव आयोग को 8 करोड़ लोगों की वोटर लिस्ट को फिर से तैयार करना है, वो भी सिर्फ 25 दिनों के भीतर. यह काम ऐसे वक्त में हो रहा है जब बिहार के 73 प्रतिशत क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति रहती है. लोगों से 11 तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जिनमें से अधिकतर दस्तावेज भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार केवल 2-3 प्रतिशत लोगों के पास ही होते हैं. यानी साफ साजिश की बू आ रही है. चुनाव आयोग नोटिफिकेशन में बार-बार बदलाव हो रहा है.'
तेजस्वी यादव EXCLUSIVE
— NDTV India (@ndtvindia) July 1, 2025
चुनाव आयोग को लेकर तेजस्वी यादव ने कहा- 'चुनाव आयोग केवल घोषणा के लिए है' #BiharElection | #TejashwiYadav | @prabhakarjourno pic.twitter.com/u0K1Yb5r1I
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तेजस्वी यादव
'मौजूदा वोटर लिस्ट को दरकिनार कर...'
NDTV को दिए इंटरव्यू में तेजस्वी यादव ने कहा कि महाराष्ट्र में यह प्रक्रिया पूरी तरह लागू नहीं की गई थी. लेकिन बिहार में मौजूदा वोटर लिस्ट को दरकिनार कर नई सूची बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इससे गरीबों का नाम लिस्ट से बाहर होने का खतरा बढ़ गया है. संविधान ने सबको वोट देने का अधिकार दिया है. हमने चुनाव आयोग से समय मांगा है ताकि इन सवालों का जवाब मिल सके, लेकिन आज तक यह स्पष्ट नहीं है कि चुनाव आयोग के प्रमुख आखिर कहां हैं.
'हार-जीत का डर नहीं, लेकिन..'
तेजस्वी ने कहा कि उन्हें हार-जीत का डर नहीं है. लेकिन नई वोटर लिस्ट से सबसे ज्यादा नाम गरीबों का नाम हटेगा. ये अफरा-तफरी क्यों. संविधान ने सबको वोटिंग का अधिकार दिया है. लोकसभा चुनावों के बाद ही यह प्रक्रिया कर लेनी चाहिए थी. अभी भी कई इलाकों में फॉर्म्स तक नहीं बांटे गए हैं. चुनाव आयोग से हम समय मांग रहे हैं और हमें कोई जानकारी नहीं मिली है.
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