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This Article is From Oct 19, 2017

दिवाली पर भी मजदूरों की जेब खाली, घरों में छाया अंधेरा; नहीं मिली महीनों से मजदूरी

मध्य प्रदेश में मनरेगा के काम में लगे मजदूरों को कई महीने से भुगतान नहीं हुआ है. भुगतान नहीं होने से दीपावली पर उनके घर में अंधेरा छाया रहा.

दिवाली पर भी मजदूरों की जेब खाली, घरों में छाया अंधेरा; नहीं मिली महीनों से मजदूरी
भोपाल: मध्य प्रदेश में कई मजदूरों की दीपावली में कोई रोशनी नहीं है. 2-3 महीने से उनकी मजदूरी नहीं मिली है. मजदूर पैसों की आस में ग्राम पंचायत के चक्कर लगा रहे हैं तो मंत्रीजी दिल्ली के लेकिन अबतक भुगतान नहीं हो पाया है.

छिंदवाड़ा के गौरय्या में रहने वाले सुखराम डोलेकर दीपावली के बाज़ार को देखते हैं, सोचते हैं बच्चों के लिये क्या खरीदें लेकिन जेब इसकी इजाज़त नहीं देता. सुखराम का कहना है रोज़ पंचायत दफ्तर आते हैं कि अपनी मजदूरी का पैसा मिले, तो सात लोगों के परिवार का पेट भरें लेकिन कई हफ्ते हो गये पैसे नहीं मिले. डेढ़ महीने से पैसे नहीं आए.
 
manrega

अनिता अपने पति के साथ मज़दूरी करके 4 लोगों का घर चलाती है. उसकी भी यही तकलीफ है. त्योहार है लेकिन घर में पैसे नहीं हैं. डेढ़ महीने से पैसा नहीं आया है, पंचायत में रोज आ रहे हैं. इस दीपावली पर घर में दीया भी नहीं जला. अकेले छिंदवाड़ा जिले के गौरय्या में 45 मजदूरों का लाखों रूपया बकाया है.

172 रुपये मजदूरी है. कई गांवों में तीन महीने का पेमेंट रुका है. मजदूर पंचायत दफ्तर में बैठते हैं, लेकिन सरपंच भी लाचार हैं. गांव के सरपंच ओमप्रकाश ओकटे ने कहा कि डेढ़ महीने से मनरेगा का पेमेंट नहीं आया. पैसा ही नहीं, मध्य प्रदेश में मनरेगा के तहत काम भी सिमटता जा रहा है. साल 2015-16 में जहां प्रदेश में कार्य का औसत दिन 46 थे, तो वहीं 2016-17 में ये 38 दिन तक सिमट गया.

राज्य में मजदूरी का बकाया लगभग 1200 करोड़ रूपये हो गया है. मंत्रीजी दिल्ली के चक्कर लगा आए लेकिन मिला बस आश्वासन. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज्य मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा 10-12 करोड़ का काम रोज़ हो रहा है. 2 महीने से पैसा नहीं आया है.

सरकारी वेबसाइट के मुताबिक, वो 29 लाख परिवारों को रोज़गार मुहैया करा चुकी है लेकिन हकीकत में कई मजदूर काम ना मिलने से मध्य प्रदेश में पलायन को मजबूर हैं. मध्य प्रदेश के 51 जिलों में इस बार लगभग आधे सूखे की चपेट में हैं, ऐसे में मनरेगा खाली हाथों को 100 दिन के काम की गारंटी देता तो है लेकिन पैसा पता नहीं. राज्य सरकार 1000 करोड़ का फंड बनाने की सोच रही है जिससे काम ना रुके, लेकिन उसके लिये अगले साल तक का इंतज़ार करना होगा. मजदूरों को त्योहार के लिए एक और साल इंतजार करना पड़ेगा.
 

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