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This Article is From Jul 31, 2018

मध्‍य प्रदेश : बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का ये है हाल, छात्र ही जांचते मिले परीक्षा की कॉपियां

कॉपी जांचते छात्रों का जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें कॉपी जांच रहा छात्र खुद को शासकीय आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में प्रथम वर्ष का छात्र बता रहा है.

मध्‍य प्रदेश : बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का ये है हाल, छात्र ही जांचते मिले परीक्षा की कॉपियां
भोपाल: देश के विश्वविद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था लचर है, आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं, छात्रों और शिक्षकों का अनुपात बेहद कम है लेकिन ये खबर हैरत से ज्यादा फिक्र जगाती है. आरोप है कि भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य के तीसरे वर्ष की कॉपी जांच के लिये सागर भेजी गई, जिसे वहां फर्स्ट ईयर के छात्र जांच रहे थे. आरोपों की जद में आए शिक्षक का कहना है कि उन्होंने कॉपी कहीं रखवाई थी, वहां जाकर लोगों ने फोटो खींच ली. ख़ैर यूनिवर्सिटी के गले ये सफाई उतरी नहीं है, उसने कमेटी बना दी है जांच के लिये. मामला इसलिये भयावह है क्योंकि यहां कई विश्वविद्यालयों की कॉपी की जांच होती थी.

कॉपी जांचते छात्रों का जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें कॉपी जांच रहा छात्र खुद को शासकीय आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में प्रथम वर्ष का छात्र बता रहा है. वो जिन कॉपियों को जांच रहा था वह चौथे सेमेस्टर की थीं. छात्र ने बताया कि उसे यह कॉपियां शिक्षक ने दी हैं, लेकिन जब छात्र से शिक्षक का नाम पूछा गया तो उसने बताने से इनकार कर दिया. तस्वीरें सागर से भोपाल पहुंचीं तो बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के कुलपति ने फौरन कार्रवाई की.

कुलपति डॉ. डीसी गुप्ता ने कहा, 'हमने सागर के प्रोफेसर दुबे को 2017 में भी कॉपी दी थी, उस वक्त ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया. इस बार ऐसा मामला आया है जिसमें उन्होंने गलती की है. डॉ धनिराम को हमने डीबार कर दिया है, जांच कमेटी बनाई है जो मामले की पूरी जांच करेगी कि डॉ. संजीव दुबे ने कितनी कॉपियां किसको जांचने के लिये दीं, कितनी जंची कितनी नहीं. जो कॉपियां डॉ. धनीराम को जांचने दीं उसने कितनी कॉपियों छात्रों को दीं. यूनिवर्सिटी लेवल पर परीक्षा नियंत्रक का अतिरिक्त प्रभार से कार्यमुक्त किया गया है.'

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय और इससे संबंधित 478 कॉलेजों में लगभग ढाई लाख छात्र पढ़ते हैं, यूनिवर्सिटी में 39 यूजी और 33 पीजी कोर्स हैं, पढ़ाने 83 पद स्वीकृत हैं, स्थाई शिक्षक 48 हैं. अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि कितने काम अतिथि शिक्षकों के जिम्मे रहते होंगे. परीक्षा का डर इंजीनियरिंग के इन छात्रों को सता रहा है, कहते हैं मेहनत करते हैं. लेकिन कई विषयों में फेल कर दिया, सुनवाई कहीं नहीं हो रही. अनिरूद्ध पाठक मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं. केमेस्ट्री में पास नहीं हो पाए, सत्येन्द्र द्विवेदी को भी हर विषय में अच्छे नंबर आए सिवाय केमिस्ट्री के.

सागर की तस्वीरें देखकर सिविल इंजीनियरिंग में पढ़ने वाले योगेश भी परीक्षा के नतीजों से डरने लगे हैं. वो कहते हैं, "यहां ऐसे ही चलता है, बिना हड़ताल कोई काम नहीं होता, फर्स्ट सेमेस्टर से देख रहे हैं, कभी रिजल्ट टाइम से नहीं आता. कॉपी में उनके हिसाब से नंबर नहीं मिलता हर साल ऐसा होता है... हर साल प्रॉब्लम है." कॉपी जांचने में हुई गड़बड़ी ने कैंपस में सियासत को मौका दिया है.

एनएसयूआई कह रही है, 1 तारीख को राज्यपाल को विश्वविद्यालय में आने नहीं देंगे, दावा है कि हर जगह भ्रष्ट्राचार है. एनएसयूआई के प्रदेश प्रभारी अंकित डेडा ने कहा, 'डिग्री जो लोग पैसे दे रहे हैं उन्हें मिल रही है, उसमें करेक्शन कर रहे हैं सही तरीके से कुलपति देख नहीं रहे. वहीं प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने कहा, "यहां पारदर्शिता की कमी है, निरंतर छात्र कह रहे हैं कि मूल्यांकन में धांधली है लेकिन कुलपति और रजिस्ट्रार को उनकी सुध नहीं है, हम उनको अहसास दिलाने आए हैं कि विश्वविद्यालय का निर्माण छात्रों के लिये हुआ था लेकिन ये भ्रष्टाचार का अड्डा बनकर रह गया है."

छात्रों का गुस्सा, डर वाजिब भी लगता है क्योंकि सूत्रों के मुताबिक सागर में जिस आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज के प्रोफेसर संजीव दुबे को कोऑर्डिनेटर बनाया गया था उनके पास रीवा, जबलपुर, इंदौर, उज्जैन यहां तक की बनारस से कॉपियां आती थीं. बताया जा रहा है कि वे पिछले कई सालों कोऑर्डिनेटर की भूमिका निभा रहे हैं. प्रो. दुबे जिले भर के प्रोफेसर, अतिथि विद्वानों को कॉपियां जांचने के लिए बांटते थे. प्रति कॉपी विश्वविद्यालय उन्हें तीन रुपये, और कॉपी जांचने वाले को 15 रुपये का भुगतान करता था.

VIDEO: छात्र ही जांचते मिले बरकतउल्‍ला यूनिवर्सिटी की परीक्षा की कॉपियां

सूत्रों के मुताबिक बरकतउल्ला जैसे बड़े विश्वविद्यालयों में एक परीक्षा में सभी विषयों की करीब 2 लाख आंसरशीट होती हैं जो जांचने के लिए कोऑर्डिनेटर के पास भेजी जाती हैं. ऐसे में कॉर्डिनेटर की एक गलती लाखों छात्रों का भविष्य खराब कर सकती है. लिहाज़ा सत्ताधारी भी मामले में संजीदा दिख रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा, "ये मामला जांच योग्य है, कड़ी कार्रवाई होगी. एनएसयूआई का कोई प्रभाव नहीं है, बीजेपी की बात नहीं है. हमारी सरकार संवेदनशीलता से काम करती है. शिक्षा की गुणवत्ता से भविष्य सुधर रहा है, ये गंभीर मामला है जल्दी से जल्दी कार्रवाई होगी."

करीब 4 साल पहले कापियां जांचने के लिए अतिथि विद्वानों को भी पात्र मान लिया गया था. जिन अतिथि विद्वानों को 8 साल का अनुभव है. जिस अतिथि शिक्षक पर आरोप है उनका कहना है कि उन्होंने अपने परिचित के यहां आंसरशीट रखी थी. लेकिन, वहां छात्र बंडल खोलकर बैठ गए और फोटो खिंचवा ली.

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