
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में सामाजिक भेदभाव को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है. मप्र सरकार में मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने एक दलित परिवार के घर भोजन करके सामाजिक समरसता की मिसाल पेश की है. यह घटना दलित संतोष पारोचे के परिवार से जुड़ी है, जिन्हें अपने पिता के श्राद्ध कार्यक्रम के बाद सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा था. संतोष के घर कुछ लोगों और आरएसएस के स्वयंसेवकों के भोजन करने से गांव के कुछ वर्ग नाराज हो गए थे. इसी के चलते संतोष और उनके परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया.
यह बात जब मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल तक पहुंची, तो उन्होंने बिना देर किए खुद संतोष के घर पहुंचने का फैसला किया. मंत्री ने न सिर्फ उनके घर भोजन किया, बल्कि समाज को यह स्पष्ट संदेश भी दिया कि जातिगत भेदभाव अब स्वीकार्य नहीं है.

मंत्री का कदम और गांव वालों की प्रतिक्रिया
मंत्री के इस कदम की चारों ओर सराहना हो रही है. गांव के कई लोग इसे एक साहसिक और जरूरी कदम बता रहे हैं. उनका मानना है कि मंत्री ने जातिगत ऊंच-नीच के खिलाफ डटकर खड़े होकर वह काम किया है, जिसकी आज समाज को बेहद जरूरत है. एक ग्रामीण, अशोक थाबर ने कहा, "हमने आज तक ऐसा मंत्री नहीं देखा. अगर यही रवैया जारी रहा, तो समाज ही नहीं, बल्कि पूरे देश में बड़ा सुधार होगा."

मंत्री का यह कदम केवल एक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि सरकार और प्रशासन जातिगत भेदभाव जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. यह घटना पूरे प्रदेश और देश के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे सामाजिक खाई को पाटा जा सकता है.
पवन सिलावट की रिपोर्ट
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