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This Article is From Mar 15, 2019

समाचार चैनलों पर चलाए जा रहे सांप्रदायिक एजेंडों के बायकाट के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने लिखा पत्र

पार्टी के राष्ट्रीय़ महासचिव व प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक ने बताया कि कुशवाहा ने कांग्रेस अध्यक्ष सहित समान विचारधारा वाले दलों को पत्र लिख कर कहा है कि वे भी अपने प्रवक्ताओं को इस तरह की बहस में हिस्सा लेने नहीं भेजें.

समाचार चैनलों पर चलाए जा रहे सांप्रदायिक एजेंडों के बायकाट के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने लिखा पत्र
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली:

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने समाचार चैनलों पर होने वाली सांप्रदायिक बहसों के बाय़काट का फैसला लिया है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, 'समाचार चैनल आरएएस और भाजपा का एजेंडा चला रहे हैं और देश के लिए यह गंभीर खतरा है. पार्टी के राष्ट्रीय़ महासचिव व प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक ने एनडीटीवी को बताया कि कुशवाहा ने कांग्रेस अध्यक्ष सहित समान विचारधारा वाले दलों को पत्र लिख कर कहा है कि वे भी अपने प्रवक्ताओं को इस तरह की बहस में हिस्सा लेने नहीं भेजें.

मल्लिक ने बताया कि उपेंद्र कुशवाहा ने राहुल गांधी के अलावा राजद नेता तेजस्वी यादव, हम प्रमुख जीतनराम मांझी, वीआईपी पार्टी प्रमुख मुकेश साहनी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, राकांपा प्रमुख शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, जेडीएस के एचडी देवेगौड़ा को पत्र लिखा है.

पत्र में उपेंद्र कुशवाहा ने लिखा है कि 'पिछले कुछ सालों और खास कर कुछ महीनों से समाचार चैनलों की भूमिका लगातार सवालों में है. समाचार चैनलों में जिस तरह की बहसें हो रहीं हैं और एंकरों का रवैया विपक्षी दलों के साथ जिस तरह का रहता है वह चैनलों की विश्वसनीयता पर तो सवाल उठाता ही है, चैनलों की भूमिका भी इससे संदिग्ध दिखने लगती है. ऐसा लगता है कि समाचार चैनल आरएसएस और भाजपा के एजेंडे को अपने जरिए आगे बढ़ाने में लगे हैं. यह देश के सामने गंभीर सवाल है. चैनल मूल मुद्दों से भटका कर मंदिर-मस्जिद, देशभक्त-देशद्रोह और हिंदू-मुसलमान जैसे मुद्दों को उछाल कर उन्माद फैलाने में लगे हैं. विपक्षी दलों को इस खेल में उलझाने की लगातार कोशिश की जा रही है. हमें इससे बचना चाहिए.

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राष्ट्रीय लोक समता पार्टी सामाजिक न्याय की पक्षधर है. विपक्षी दलों के लिए भी यह बेहद संवेदनशील विषय है. हमारा लक्ष्य राजनीतिक मंचों पर समाज के दबे-कुचले. पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित-महादलित, अकलियत, आदिवासी और वंचितों की आवाज को शिद्दत से उठाना है. हम रोजगार, युवाओं, किसानों और सामजाकि मुद्दों को लेकर लगातार संघर्ष करते रहे हैं.

लेकिन चैनल और भाजपा व आरएसएस इन मुद्दों की बजाय छद्म राष्ट्रवाद और हिंदू-मुसलमान की बहसों में उलझाने की लगातार कोशिश कर रही है. हमें इनसे सावधान रहने की जरूरत है. इसलिए हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि इन मुद्दों पर होने वाले टीवी बहसों का हम बॉयकाट करें. हमें इन मुद्दों पर बातचीत के लिए अपने प्रवक्ताओं को भेजने से परहेज करना चाहिए. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने फैसला किया है कि वे इन मुद्दों पर होने वाले बहसों से दूर रहेगी. सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर होने वाली बहसों में पार्टी जरूर हिस्सा लेगी. आशा करता हूं कि आप इस मसले पर गंभीरता से विचार करेंगे और टीवी चैनलों पर होने वाले नफरत भरे विषयों पर होने वाली बहसों से अपने को दूर रखेंगे. देशहित के लिए ऐसा करना जरूरी है.'

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