चुनावी रणनीतिकार और जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने शनिवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर हमला बोला और उन्हें संयुक्त तौर पर मीडिया के सामने बहस करने की चुनौती दी. राबड़ी देवी के दावे जिसमें उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर चुनाव से पहले उनके पास जदूय-राजद के विलय का प्रस्ताव लेकर आए थे, पर प्रशांत किशोर ने लालू प्रसाद यादव को मीडिया के सामने आने को कहा ताकि किसने किसको क्या ऑफर दिया, ये पता चल सके. बता दें कि बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने शुक्रवार को दावा किया कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने उनके पति लालू प्रसाद से भेंट करके यह प्रस्ताव रखा था कि राजद और नीतीश कुमार के जद(यू) का विलय हो जाए और इस प्रकार बनने वाले नए दल को चुनावों से पहले अपना ‘प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार' घोषित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर प्रशांत किशोर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद से इस प्रस्ताव को लेकर मुलाकात करने से इनकार करते हैं तो वह ‘सफेद झूठ' बोल रहे हैं.
प्रशांत किशोर ने शनिवार को ट्वीट किया और लिखा- 'पद का दुरुपयोग और धन के दुरुपयोग के आरोपों में दोषी पाए जाने वाले लोग सच्चाई के संरक्षक होने का दावा कर रहे हैं. लालू प्रसाद यादव जी जब चाहें, मेरे साथ मीडिया के सामने बैठ जाएं, सबको पता चल जाएगा कि मेरे और उनके बीच क्या बात हुई और किसने किसको क्या ऑफर दिया.'
राजद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राबड़ी देवी ने कहा, ‘मैं इससे बहुत नाराज हो गई और उनसे निकल जाने को कहा क्योंकि नीतीश के धोखा देने के बाद मुझे उन पर भरोसा नहीं रहा.' राबड़ी देवी बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी हैं. साल 2017 में नीतीश कुमार राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में शामिल हो गए थे. राबड़ी देवी ने कहा, ‘हमारे सभी कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी इस बात के गवाह हैं कि उन्होंने हमसे कम से कम पांच बार मुलाकात की. इनमें से अधिकांश तो यहीं (दस सर्कुलर रोड) पर हुईं और एक-दो मुलाकात पांच नंबर (पांच देशरत्न मार्ग-छोटे पुत्र तेजस्वी यादव के आवास) पर हुईं.'
उन्होंने कहा, ‘किशोर को नीतीश कुमार ने इस प्रस्ताव के साथ भेजा था- ‘दोनों दलों का विलय कर देते हैं और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करते हैं।' वह दिन के उजाले में आए थे न कि रात में.' कुमार के इस दावे, कि राजद सुप्रीमो जेल से ही किशोर से बात करते रहे हैं, पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि हम (परिवार के सदस्य) लोगों को भी उनसे (लालू प्रसाद) फोन पर बात करने का मौका नहीं मिलता है और अनंत सिंह के दावे का क्या जो कहते हैं कि उनके जेल में रहने के दौरान ललन सिंह (मंत्री) नीतीश से टेलीफोन पर बातचीत करवाते थे.
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