लोकसभा चुनाव(Lok Sabha Polls 2019) से पहले असम में बीजेपी के साथ असम गण परिषद का समझौता (Asom Gana Parishad alliance with BJP) हो गया, मगर पार्टी संस्थापक को पहले से इसकी खबर ही नहीं थी. जब मीडिया में समझौते की खबरें आईं तो असम गण परिषद(Asom Gana Parishad ) के संस्थापक अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महंत (Prafulla Kumar Mahanta) को इस फैसले की जानकारी हुई. अब उन्होंने इस समझौता का विरोध शुरू किया है. असम के इस क्षेत्रीय दल के संस्थापक अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महंत ने अपनी पार्टी का भाजपा के साथ गठबंधन का विरोध करते हुए बुधवार को कहा कि उन्हें इस बारे में मीडिया से पता चला. साथ ही, उन्होंने पार्टी नेताओं से इस फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है.महंत ने यहां पत्रकारों से कहा," मैं इस गठबंधन का विरोध करता हूं क्योंकि एक क्षेत्रीय पार्टी होने के नाते एजीपी को सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए और उसका लक्ष्य अपना क्षेत्रीय चरित्र अक्षुण्ण बनाए रखना होना चाहिए." उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं को आम सभा की बैठक बुलानी चाहिए और वहां हुए निर्णय के अनुसार काम करना चाहिए. महंत ने कहा, ‘‘ मुझे अब भी उम्मीद है कि वे इस फैसले पर फिर से विचार करेंगे और पार्टी के सदस्यों के साथ मामले पर चर्चा करेंगे."
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राम माधव ने की गठबंधन की घोषणा
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने पुराने साथी असम गण परिषद को एक बार फिर साथ लाने में कामयाब रही. देर रात भाजपा और असम गण परिषद (Asom Gana Parishad) ने चुनाव से पहले गठबंधन करने का फैसला किया. गठबंधन की रूपरेखा के अगले एक-दो दिनों में तय कर ली जाएगी. यह फैसला भाजपा के महासचिव राम माधव और असम गण परिषद के अध्यक्ष अतुल बोरा की लंबी बैठक के बाद लिया गया. इस गठबंधन का ऐलान भाजपा के महासचिव राम माधव ने किया. उन्होंने इसके साथ ही बताया कि बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट गठबंधन का तीसरा साथी होगा.भाजपा महासचिव राम माधव ने गठबंधन का ऐलान करते हुए ट्वीट किया, 'चर्चा के बाद भाजपा और असम गण परिषद ने आगामी लोकसभा चुनाव में असम में कांग्रेस को हराने के लिए साथ काम करने का फैसला किया है. गुवाहाटी में भाजपा के हिमंता बिस्वा शर्मा और अतुल बोरा और एजीपी के केशव महंता की मौजूदगी में इसकी ऐलान किया गया. गठबंधन का तीसरा साथी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट होगा.'
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क्यों अहम है समझौता
असम गण परिषद के साथ भाजपा के गठबंधन को अहम माना जा रहा है कि क्योंकि लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद असम गण परिषद ने एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया था. इसके साथ ही बिल के विरोध में भाजपा के खिलाफ प्रचार किया था. असम गण परिषद के इस कदम के बाद पूर्वोत्तर की क्षेत्रिय पार्टियों ने भी भाजपा का विरोध किया था. कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करते हुए कहा था कि अगर हम सत्ता में वापस आते हैं तो इस विवादित बिल को रद्द कर देंगे. वहीं भाजपा ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अगर वह सत्ता में आती है तो संसद में बिल को दोबारा लेकर आएगी.(इनपुट-भाषा)
वीडियो- असम में बीजेपी ने फिर किया असम गण परिषद के साथ गठबंधन
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