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This Article is From Apr 01, 2019

चुनाव से ठीक पहले नवीन पटनायक की पार्टी को लगा बड़ा झटका, उपाध्यक्ष ने पार्टी से दिया इस्तीफा

लोकसभा (General Election 2019) और राज्य विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ओडिशा में सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजद) को बड़ा झटका लगा है. 

चुनाव से ठीक पहले नवीन पटनायक की पार्टी को लगा बड़ा झटका, उपाध्यक्ष ने पार्टी से दिया इस्तीफा
बीजद के उपाध्यक्ष ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.
नई दिल्ली:

लोकसभा (General Election 2019) और राज्य विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ओडिशा में सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजद) को बड़ा झटका लगा है. बीजद के वरिष्ठ नेता रघुनाथ मोहंती ने रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया और पार्टी पर दिग्गज नेता बीजू पटनायक के विचारों से विमुख होने का आरोप लगाया. आपको बता दें कि मोहंती राज्य में सत्तारूढ़ बीजद के उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को एक पत्र भेज कर उन्हें क्षेत्रीय पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के अपने निर्णय के बारे में अवगत कराया है. मोहंती ने अपने त्यागपत्र में कहा है, ‘मैं व्यक्तिगत कारणों से प्राथमिक सदस्यता के साथ-साथ बीजद के उपाध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे रहा हूं'.  

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माना जा रहा है कि मोहंती ने बालासोर जिले की बास्ता विधानसभा सीट से टिकट न मिलने की वजह से इस्तीफा दिया है. बास्ता सीट मोंहती का गढ़ माना जाता है. आपको बता दें कि इस बार खासकर लोकसभा चुनाव में ओडिशा की लड़ाई दिलचल्प हो गई है. ओडिशा में कुल-मिलाकर 21 लोकसभा सीटें हैं. 2014 में 20 सीट पर बीजद ने जीत हासिल की थी और एक सीट बीजेपी को मिली थी. 2009 में बीजू जनता दल ने 14 सीटों पर जीत हासिल की थी, 6 कांग्रेस की मिली थी और एक सीट सीपीआई के खाते में गई थी. 2004 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में बीजद और बीजेपी ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजद को 30 प्रतिशत के करीब वोट मिले थे और बीजद ने 11 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि बीजेपी को 19 प्रतिशत वोट मिले थे और बीजेपी ने सात सीटों पर जीत हासिल की थी.  

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2009 में बीजद और बीजेपी अलग हो गए थे. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजद को 37.23 प्रतिशत वोट मिले थे और 2014 में यह बढ़कर 44.1 हुआ. साल 2014 में बीजेपी के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई थी. 2009 में बीजेपी को 17 प्रतिशत के करीब वोट मिले थे जबकी 2014 में यह बढ़कर 22 प्रतिशत के करीब हो गया. 2009 में बीजद से अलग होने के बाद बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली थी जबकि 2014 में सिर्फ एक सीट जीत पाई थी. 

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(इनपुट-भाषा से भी)

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