कर्नाटक में भाजपा शानदार जीत की ओर बढ़ती दिख रही है, जहां मतगणना के अब तक प्राप्त रूझानों में लोकसभा की 28 में 24 सीटों पर भाजपा अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे चल रही है. इससे राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस- जद(एस) गठबंधन में प्रदेश सरकार की स्थिरता को लेकर चिंता बढ़ गई है. चुनाव आयोग के रूझानों के मुताबिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे गुलबर्ग में और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा तुमकुर में अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वियों से पीछे चल रहे हैं. राज्य में कांग्रेस दो सीटों पर, जबकि जद(एस) एक सीट पर आगे है. ऐसे में कर्नाटक की जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के भविष्य पर भी सवाल उठने लगे है जो बनने के पहले दिन से ही हिचकोले खाती दिख रही है. कांग्रेस के कब्जे वाली 2 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, जिनमें से एक सीट बीजेपी ने जीती और दूसरी कांग्रेस ने.
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कर्नाटक बीजेपी मुख्यालय के सामने जश्न नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री के तौर पर वापसी के साथ-साथ इस बात को लेकर है कि जेडीएस सुप्रीमो देवगौड़ा, उनके पोते निखिल कुमारस्वामी और लोकसभा मे विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी हारते हुए नजर आ रहे हैं. पिछली बार 2014 में कांग्रेस ने 9, जेडीएस ने 2 और बीजेपी ने 17 सीटें जीती थी. लेकिन इसबार बीजेपी ने 25 सीटें जीतकर सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. वरिष्ठ कांग्रेस नेता आर वी देशपांडे ने कहा, 'देखिये हम भी हैरान हैं. ऐसा कैसे हुआ अभी समझ नहीं पा रहे.
225 सदस्यों वाली विधानसभा मे अब बीजेपी चिंचोली विधानसभा उप चुनाव जीत कर 105 तक पहुंच गई है. 2 निर्दलीय विधायक उसके साथ है. यानी 107 सरकार बनाने के जादूई आंकड़े 113 से 6 कम. वहीं कांग्रेस 80 से घट कर 79 पर सिमट गई है. और साझा सरकार में उसकी सहयोगी जेडीएस के पास 38 सीटें है यानी कुल 117 का आंकड़ा. कांग्रेस के तकरीबन आधे दर्जन विधायक कभी भी येदयुरप्पा के समर्थन में खड़े हो सकते है लेकिन अगर ऐसा हुआ तो भी येदयुरप्पा के लिए सरकार बनाने मुश्किल होगा क्योंकि विधानसभा में सदस्य कम होंगे तो बहुमत का आंकड़ा भी नीचे आ जाएगा. ऐसे में दो विकल्प हैं कि राजनीतिक अस्थिरता की वजह से यहां राष्ट्रपति शासन लगे या करीब 14 कांग्रेस विधायक पार्टी छोड़ दें, जिससे भाजपा की राह आसान हो जाएगी.
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कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा ने कहा, 'सरकार यहां हम बनाएंगे या क्या करेंगे इस पर हमे देखना है कि दोनों पार्टियां क्या फैसला करती है. एक दो दिन इंतजार कीजिये.'
दरअसल देवगौड़ा तुमकुर से और उनके पोते निखिल मंड्या से हार गए और इसकी वजह जेडीएस के मुताबिक कांग्रेस का वोट जेडीएस को ट्रांसफर नहीं होना है. देवगौड़ा परिवार इसके लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया को जिम्मेदार मानते हैं.
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