लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के अंतिम चरण में 19 मई को मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में बाकी बचीं सीटों पर मतदान होना है. आखिरी चरण में होने वाले मतदान में मालवा-निमाड़ की आठ सीटों पर मतदान होगा. इन सीटों में से इंदौर (Indore) लोकसभा क्षेत्र पर सबकी निगाहें टिकी हैं, जिसे पिछले 30 सालों से लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) ने बीजेपी (BJP) के किले में तब्दील कर दिया. इस बार वे चुनाव नहीं लड़ रही हैं. मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर के बारे में दोनों दलों के समर्थक कह रहे हैं कि यहां सीधा मुकाबला राहुल गांधी (Rahul Gandhi) बनाम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) है. शायद इसलिए पहले मोदी ने यहां सभा को संबोधित किया तो दूसरे ही दिन प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) रोड शो के लिए इंदौर पहुंच गईं.
प्रियंका (Priyanka Gandhi) ने मध्यप्रदेश के अपने पहले दौरे में उज्जैन में द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल का पंचामृत पूजन किया, फिर रतलाम में पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के लिए सभा को संबोधित किया. उन्होंने आखिर में इंदौर (Indore) में चार किलोमीटर लंबा रोड शो निकाला. प्रियंका उस शहर में रोड शो के लिए निकलीं जहां उनके भाई राहुल गांधी, दादी इंदिरा गांधी भी जहां के रास्तों से गुजकर जीत की इबारत लिख गईं. उन्हीं रास्तों में गुजरते हुए प्रियंका ने निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और बीजेपी सरकार को रखा.
मालवा और निमाड़ की आठ सीटों पर अंतिम चरण में चुनाव है. बीजेपी ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) को आठ दफे सांसद बनाने के बाद उनका टिकट काटा तो प्रियंका के रोड शो से एक दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) मोर्चा संभालने इंदौर आए. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में नामदार ने मोबाइल फैक्ट्रियां खोलने की बात कही थी, लेकिन अब कांग्रेस के घोषणा-पत्र में इसका उल्लेख तक नहीं है. कांग्रेस ने कर्जमाफ करने की बात कही, अब किसानों के घर पर पुलिस आ रही है और नया कर्ज नहीं मिल रहा. ये कहते हैं हुआ तो हुआ. हालांकि इस बीच कहानी यह भी हुई कि सुमित्रा महाजन का टिकट कटा तो कटा, मंच से पहले फोटो भी कट गई. नाराज हुईं तो आनन-फानन में तस्वीर लगाई गई.
बगैर 'ताई' के क्या इंदौर में फंस सकती है बीजेपी की गाड़ी, देखें- आंकड़े क्या कहते हैं
इंदौर में पीएम मोदी ने चुनावी रैली को संबोधित किया.
साल 1989 से लेकर 2014 तक ताई (सुमित्रा महाजन) लगातार आठ बार, कुल 25 सालों तक इंदौर से ही सांसद रही हैं. सूत्र बताते हैं कि वे चुनाव लड़ना चाहती थीं, टिकट मिलने का इंतजार भी किया, लेकिन पार्टी ने उम्रदराज नेताओं को 'मार्ग दर्शक मंडल' में भेजने का सिलसिला जारी रखा. हालांकि भाई यानी कैलाश विजयवर्गीय की भी नहीं चलने दी. टिकट मिला इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) के पूर्व अध्यक्ष शंकर ललवानी (Shankar Lalwani) को, जिन्हें ताई का करीबी माना जाता है. उनके साथ प्रचार में वे कम दिखती हैं. कार्यकर्ता घर आते हैं. प्रचार की शुरुआत पोहा-जलेबी से होती है. संघ का कार्यालय इंदौर शिफ्ट हो गया है, शिवराज खूब घूम रहे हैं.
उज्जैन के महाकाल मंदिर में प्रियंका गांधी ने पूजन किया.
बीजेपी की रोज रणनीति बनती है, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां विधानसभा चुनाव में बीजेपी हारी. बीजेपी उम्मीदवार शंकर ललवानी कहते हैं 'किसानों से उन्होंने (कांग्रेस) बड़े-बड़े वादे किए थे अब जब हम ग्रामीण इलाकों में जा रहे हैं तो वे बहुत आक्रोशित हैं. उन्होंने दो लाख रुपये का कर्ज माफ करने का कहा था. कल मैं जिस गांव में गया वहां मंच से माला लेकर कहा कि एक व्यक्ति आ जाए जिसको दो लाख रुपये कर्ज माफी के मिले हैं. हम उसका स्वागत करेंगे. एक भी व्यक्ति नहीं मिला. कर्जमाफी एक मुद्दा है. चना-गेंहू की कीमत नहीं मिली, उससे भी किसान नाराज हैं.'
शंकर ललवानी.
ताई के उम्मीदवार नहीं बनने के मौके के इंतजार में कांग्रेस भी थी और वह अब इसे भुनाना चाहती है. इसलिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस सीट पर पंकज संघवी (Pankaj Sanghavi) के लिए पूरा जोर लगा दिया है. तीन कैबिनेट मंत्री पंकज संघवी के लिए पसीना बहा रहे हैं. संघवी ने सिर्फ एक बार पार्षद का चुनाव जीता है. वे महापौर, विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं. हालांकि सन 1998 में ताई उनसे सिर्फ 49 हजार 852 वोटों से जीत पाई थीं. उन्हें लगता है कि पार्टी और किसानों की कर्जमाफी से जीत उन्हें ही मिलेगी. वे कहते हैं कि 'तीन मंत्रियों के अलावा सारे विधायक लगे हैं. पूरी पार्टी मेरा काम रही है.' कर्ज़माफी और किसानों की नाराज़गी पर उन्होंने कहा 'सब किसानों को समझाया है, 50 लाख किसानों का कर्ज माफ होगा.'
इंदौर लोकसभा क्षेत्र में कुल 23 लाख, 34 हजार वोटर हैं. इनमें तकरीबन तीन लाख मुस्लिम वोटर, ढाई लाख मराठी, तीन लाख वैश्य तो पां लाख वोट पिछड़े वर्ग के हैं. सिंधी वोटर लगभग 80,000 हैं. शंकर ललवानी इसी समुदाय से आते हैं. शहरी मतदाता लगभग 80 फीसदी हैं, सबकी अपनी-अपनी सोच है. इंदौर में व्यापार करने वाले निखिल अग्रवाल कहते हैं, 'विकास हो ही रहा है. बीजेपी ने खूब विकास किया है. कांग्रेस को सीखकर अपने राज्यों में ऐसा करना चाहिए.' वहीं प्रमोद बड़जात्या का कहना है 'मोदीजी ने बोला था 15 लाख आएंगे, नहीं आया ... माल्या को लेकर नहीं आए, नीरव मोदी भाग गया.' वहीं हरीशचंद्र डेमला का कहना है 'मुख्य मुद्दा जीएसटी का है. जो सरकार सुलझाएगी उसे वोट देंगे.' जया शिंदे कहती हैं 'पहले गैस की टंकी सस्ती थी, अब महंगी है. बेरोजगारी बढ़ गई है, आमदनी कम है, खर्चे ज्यादा हैं. मोदी जी जो कर रहे हैं अच्छा कर रहे हैं लेकिन इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है.'
VIDEO : इंदौर में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला
इंदौर लोकसभा क्षेत्र की आठ में से चार विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं लेकिन जीत की चाबी उसके हाथ में है जो मराठी और अल्पसंख्यक वोटों को साध ले. विधानसभा चुनाव के बाद हार का अंतर भी चार लाख 66 हजार से घटकर 95 हजार पर आ गया है. फैसला जनता को 19 मई करना है.
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