इलेक्टोरल बॉन्ड मामला: सुप्रीम कोर्ट के आदेश से याचिकाकर्ता खुश नहीं, जानें क्या है कारण

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनावी बॉन्ड पर अपने अंतरिम आदेश में कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये हुई कमाई से जुड़ी सारी जानकारी अब राजनितिक दलों को चुनाव आयोग को देनी होगी.

इलेक्टोरल बॉन्ड मामला: सुप्रीम कोर्ट के आदेश से याचिकाकर्ता खुश नहीं, जानें क्या है कारण

Electoral Bond मामले पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनावी बॉन्ड पर अपने अंतरिम आदेश में कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये हुई कमाई से जुड़ी सारी जानकारी अब राजनितिक दलों को चुनाव आयोग को देनी होगी. कोर्ट ने कहा कि बॉन्ड के जरिये मिली रकम की जानकारी सील कवर में सभी राजनीतिक पार्टियों को चुनाव आयोग के साथ साझा करनी होगी. उच्चतम न्यायलय के मुताबिक चुनाव आयोग इसे सेफ कस्टडी में रखेगा. आदेश के मुताबिक पार्टियों को मिली 15 मई तक की रकम की जानकारी मई के आखिर तक चुनाव आयोग को देनी होगी. आपको बता दें कि फिलहाल  चुनावी बॉन्ड पर कोई रोक नहीं लगेगी. इसे खरीदने के लिए दस दिनों का वक्त खत्म होगा.  

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हालांकि कोर्ट के इस आदेश से याचिकाकर्ता खुश नहीं हैं. एडीआर के प्रोफेसर जगदीप चोकर ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है की राजनितिक दल सारी जानकारी चुनाव आयोग के साथ साझा करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ये कहती रही है कि इलेक्टोरल बॉन्ड गुमनाम हैं, इन पर किसी का नाम नहीं है. ऐसे में राजनीतिक दल ये कह सकते हैं कि बॉन्ड पोस्ट के माध्यम से उनके पास आए और इन पर भेजने वाले का नाम नहीं है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से पूछना चाहिए कि इलेक्टोरेल बॉन्ड किसने खरीदे और कितने रुपये में खरीदे. स्टेट बैंक को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक करना चाहिए. 

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उधर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद फिर पॉलिटिकल फंडिंग के मसले पर राजनितिक आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेत मनु सिंघवी ने कहा कि चुनावी बॉन्ड बन गया है बीजेपी के इलेक्टोरल का भ्रष्टाचार. इनके जरिये बीजेपी का धन कमाले का खेल अटक गया है. उन्होंने कहा कि आपने वो देखा जो देश में अब तक नहीं हुआ. 94.4 फीसदी फंड भारतीय जनता पार्टी के पास है. हाईटेक कैंपनिंग की गई है, दानदार के बारे में किसी को कोई जानकारी ही नहीं है.

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 क्या है चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond)

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चुनावों में राजनीतिक दलों के चंदा जुटाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से चुनावी बॉन्ड घोषणा की थी. चुनावी बॉन्ड  एक ऐसा बॉन्ड है जिसमें एक करेंसी नोट लिखा रहता है, जिसमें उसकी वैल्यू होती है. ये बॉन्ड पैसा दान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस बॉन्ड के जरिए आम आदमी राजनीतिक पार्टी, व्यक्ति या किसी संस्था को पैसे दान कर सकता है. इसकी न्यूनतम कीमत एक हजार रुपए जबकि अधिकतम एक करोड़ रुपए होती है. चुनावी बॉन्ड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ रुपये के मूल्य में उपलब्ध हैं.