पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने अपने 2014 लोकसभा चुनावों की जीत को और बड़ा कर दिया है. पीएम मोदी वहां भी कामयाब होते दिख रहे हैं जहां दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी. मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत हुई थी और उम्मीद की जा रही थी कि इसका असर लोकसभा चुनाव में भी होगा लेकिन ऐसा दिख नहीं दिख रहा है. मध्यप्रदेश में बीजेपी को फायदा दिख रहा है जबकि राजस्थान में स्थिति बरकरार है. छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी 2014 वाली अपनी स्थिति को बरकरार रखने में कामयाब होती दिख रही है. कांग्रेस को पंजाब और तमिलनाडु में फायदा दिख रहा है. तमिलनाडु में डीएमके के साथ होने का कांग्रेस को फायदा मिला.
लोकसभा चुनाव परिणाम की 10 बड़ी बातें
- अपने पांच साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मजबूत प्रशासक के तौर पर अपनी पहचान बनाई. मेक-इन-इंडिया और स्वच्छ भारत जैसे हाई प्रोफाइल अभियान ने पीएम मोदी को आम लोगों के बीच स्थापित करने का काम किया. मजबूत विदेश नीति एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखी जा रही है. वहीं विपक्ष ने आर्थिक, रोजगार, कृषि, लिंचिंग जैसे मसलों पर घेरने की कोशिश की. एग्जिट पोल आने के बाद बीजेपी ने राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास जैसे तीन अहम मसलों पर रणनीति तैयार कर ली है.
- राज्यों के चुनाव परिणाम को देखें तो बीजेपी, गुजरात, दिल्ली, बिहार, महाराष्ट्र में लगभग सभी सीटों पर जीत रही है. वहीं मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जहां कि कांग्रेस की सरकार है वहां भी बीजेपी जीत दर्ज कर रही है.
- बीजेपी जहां रातों रात राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाने में कामयाब रहा और बाद में विकास का मुद्दा उसमें जोड़ा वहीं कांग्रेस जनता के मुद्दों जैसे- रोजगार, कृषि क्षेत्र, आर्थिक विकास एवं रफाल पर अपना ध्यान केंद्रित किया. साथ ही कांग्रेस की ओर से मोदी सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया गया लेकिन यह मुद्दा जनता के बीच कोई तूफान खड़ा नहीं कर पाया.
- कांग्रेस ने पंजाब में बढ़िया प्रदर्शन किया है. एग्जिट पोल में भी इसका अनुमान लगाया गया था. तमिलनाडु में भी अपने सहयोगी डीएमके के साथ बेहतर प्रदर्शन रहा.
- उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा से अलग राह रही कांग्रेस की और इन दलों के बीच भारतीय जनता पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर गई. एग्जिट पोल के अनुमान के अनुसार ही प्रदेश में बीजेपी 50 से ज्यादा सीट जीत रही है. उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उत्तर प्रदेश से ही सांसद हैं.
- हिंदी प्रदेश के तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस लोकसभा चुनाव में अधिकांश राज्यों में अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरी. राहुल गांधी ने कहा कि वह फ्रंट फुट पर खेलना चाहते हैं. इसके साथ ही कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को महासचिव बनाकर चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतारा. पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया. पूर्वी उत्तर प्रदेश वाले क्षेत्र वाराणसी से ही नरेंद्र मोदी चुनाव मैदान में हैं. गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ते रहे हैं, वहां से अभी भोजपुरी फिल्मों के स्टार रवि किशन बीजेपी की ओर से चुनाव मैदान में हैं.
- चुनाव के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने पुराने सहयोगियों शिवसेना, नीतीश कुमार और अपना दल की नाराजगी दूर करने के लिए कई बैठकें कीं और सभी को अपने साथ रखने में कामयाब रहे. वहीं कांग्रेस विपक्ष को एक मंच पर लाने में नाकाम रही. टीएमसी की ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल, जैसे के साथ कांग्रेस एक मंच पर नहीं आ पाए. इसका खामियाजा दिल्ली और पश्चिम बंगाल में साफ दीख रहा है.
- उत्तर प्रदेश में भी लगभग यही स्थिति रही. मायावती कांग्रेस को दूर बनाए रखने में कामयाब हुई और इस कारण कांग्रेस को अकेले ही मैदान में उतरना पड़ा. कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि मायावती ऐसा करके बीजेपी का हाथ मजबूत कर रही है. बताया यह भी जाता है कि इसके पीछे मायावती की अपनी मत्वाकांक्षा काम कर रही थी.
- पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी 34 सीटों पर काबिज थी लेकिन जैसा कि एग्जिट पोल में देखने को मिला, बीजेपी को जबरदस्त सफलता मिलने वाली है. पहली बार बीजेपी 18 सीटें जीत सकती है. कुछ ऐसा ही फायदा ओडिशा में भी होता हुआ दिख रहा है.
- चुनाव में वीवीपैट के इस्तेमाल को लेकर काफी बवाल मचा. विपक्ष की मांग थी कि पहले इसके मत का मिलान हो तभी आगे की गिनती हो लेकिन इस पर चुनाव आयोग सहमत नहीं हुआ. मामला कोर्ट में गया और कोर्ट ने भी विपक्ष की मांग को उनके अनुसार नहीं माना. विपक्ष ने ईवीएम को लेकर भी सवाल खड़े किए लेकिन चुनाव आयोग ने उसे भी खारिज कर दिया.