मौजूदा लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में बिहार की बेगूसराय सीट (Begusarai Lok Sabha Seat) पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) को कड़ी टक्कर दे रहे जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाकपा उम्मीदवार कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने इस मुकाबले को पढ़ाई और कड़ाही के बीच की लड़ाई करार दिया. उन्होंने कहा कि एक ओर तो पढ़-लिखकर अपना और देश का भविष्य बनाने के इच्छुक युवा हैं और दूसरी तरफ वे लोग हैं जो इन पढ़े-लिखे युवाओं से पकौड़े तलवाना चाहते हैं. एनसीईआरटी की नौवीं कक्षा की किताब से लोकतंत्र का पाठ हटाए जाने के संदर्भ में वह कहते हैं, ‘अगर हम चुप रहें तो कल पूरे देश से ही लोकतंत्र को हटा दिया जाएगा.'
चुनाव में जेएनयू प्रकरण और देशद्रोह को मुख्य मुद्दा बनाये जाने पर कन्हैया कुमार का कहना है, ‘अगर मैं देशद्रोही हूं, अपराधी हूं, दोषी हूं... तो सरकार मुझे जेल में क्यों नहीं डाल देती? अगर मैंने कुछ गलत किया है तब सरकार कार्रवाई करे. अगर मैं देशद्रोही हूं तो चुनाव कैसे लड़ रहा हूं?' कन्हैया कुमार ने कहा, ‘मेरा चुनाव लड़ना ही इस बात का सबूत है कि देशद्रोह के आरोप बेबुनियाद हैं. जनता सब जानती है. लोग वास्तविक मुद्दों पर बात करना चाहते हैं लेकिन भाजपा मनगढ़ंत मुद्दों की आड़ में लोगों को बांट रही है क्योंकि उसके पास जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं है. पिछले पांच वर्ष में केंद्र सरकार ने कुछ भी ठोस नहीं किया इसलिए वह भ्रम फैला रही है.'
भाकपा उम्मीदवार ने कहा कि साजिश करने वालों को देश की चिंता नहीं है बल्कि वे चाहते हैं कि ‘देश में न कोई बोले, ना सवाल करे.' अपने चुनाव अभियान पर संतोष व्यक्त करते हुए कुमार ने कहा, ‘मैं, खुद को मिल रहे जनसमर्थन से उत्साहित हूं और मुझे अपनी सफलता का पूरा भरोसा भी है. राजनीतिक लड़ाई में सच्चाई और ईमानदारी हो तो जनता का सहयोग अपने आप मिलता है.' यह पूछे जाने पर कि अगर पूरा विपक्ष मिलकर उन्हें अपना उम्मीदवार बनाता तो सीधी टक्कर होती, कुमार ने कहा, ‘भाजपा विरोधी मतों का विभाजन नहीं होगा... मुकाबला सीधा ही है.'
राजनीति में आने से जुड़े सवाल पर कन्हैया कुमार ने कहा ‘मैंने कुछ तय नहीं किया. संयोग और परिस्थितियां ही सब कुछ तय करती हैं. बेगूसराय में जन्म लेने के बाद मैंने सोचा नहीं था कि कभी दिल्ली जाऊंगा. दिल्ली पहुंच कर यह तय नहीं किया था कि जेएनयू जाऊंगा और छात्र संघ का अध्यक्ष बनूंगा. फिर मैं जेल भी गया. बेगूसराय से भाकपा उम्मीदवार बनना भी तय नहीं था.'
केवल कन्हैया कुमार ही नहीं, बिहार की राजनीति में JNUSU के कई पूर्व अध्यक्ष
चुनावी चंदे के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ‘मेरा मानना है कि जनता की लड़ाई जनता के पैसे से हो. मेरा पूरा अभियान जनता के सहयोग से ही चल रहा है. वैसे भी, यह लड़ाई तो पढ़ाई और कड़ाही के बीच है- एक तरफ पढ़-लिखकर अपना और देश का भविष्य बनाने के इच्छुक युवा हैं तो दूसरी तरफ वे लोग हैं जो इन पढ़े-लिखे युवाओं से पकौड़े तलवाना चाहते हैं.'
कन्हैया कुमार अगर चुनाव जीतकर सांसद बनते हैं तो पहला काम क्या करेंगे? यह मिला जवाब...
कभी कांग्रेस का गढ़ रही बेगूसराय सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा के भोला सिंह ने राजद के तनवीर हसन को 58,335 मत से हराया था. भाकपा के राजेंद्र प्रसाद सिंह 1,92,639 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे. उससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू के मोनाजिर हसन ने इस सीट पर भाकपा के कद्दावर नेता शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को पराजित कर कब्जा जमाया था. वहीं 2004 में जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कांग्रेस की कृष्णा शाही को हराया था. इस सीट पर कांग्रेस ने अब तक आठ बार जीत दर्ज की है जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की. ''बिहार का लेनिनग्राद'' और ''लिटिल मॉस्को'' कहलाने वाला बेगूसराय गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है.
कन्हैया कुमार का ब्लॉग: क्यों ग़ायब हैं किसानों के मुद्दे किसानों के ही देश से...?
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं