मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (Faiz Ahmad Faiz) की कविता 'हम देखेंगे (Hum Dekhenge) लाजिम है कि हम भी देखेंगे' को लेकर बढ़ते विवाद के बाद आईआईटी कानपुर ने एक समिति कठित की है जो यह तय करेगी कि फैज की नज्म 'हिंदू विरोधी' है या नहीं. आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) के छात्रों ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) के छात्रों के समर्थन में परिसर में 17 दिसंबर को फैज की ये नज्म गाई थी जिसको फैकल्टी के सदस्यों ने 'हिंदू विरोधी' बताया था. बता दें कि फैज ने ये नज्म जिया-उल-हक के संदर्भ में लिखी थी और पाकिस्तान में सैन्य शासन के विरोध में लिखी थी. लेकिन फ़ैज़ की ये नज्म तब प्रसिद्ध हुई जब इसे गुलुकारा इक़बाल बानो ने गाया. रेख़्ता पर दी गई जानकारी के मुताबिक साल 1985 में जनरल ज़िया उल हक़ के फ़रमान के तहत औरतों के साड़ी पहनने पर पाबंदी लगा दी गई थी. पाकिस्तान की मशहूर गुलुकारा इक़बाल बानो ने एहतिजाज दर्ज कराते हुए लाहौर के एक स्टेडियम में काले रंग की साड़ी पहन कर 50000 सामईन के सामने फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ये नज़्म गाई थी. आइये जानते हैं फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के जीवन से 10 जुड़ी बातें...
फैज़ अहमद फैज़ के जीवन से जुड़ी 10 बातें..
1. फैज़ अहमद फैज़ का जन्म 13 फरवरी, 1911 में पंजाब के सियालकोट जिले (अब पाकिस्तान में) में हुआ था. फैज़ अहमद फैज़ के पिता एक चरवाहा थे.
2. फैज़ अहमद फैज़ की आरंभिक शिक्षा उर्दू, अरबी तथा फ़ारसी में हुई जिसमें क़ुरआन को कंठस्थ करना भी शामिल था. वह इंग्लैंड गए और वहां उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की. इसके बाद वह सियालकोट वापस आ गए और यहां उन्होंने वकालत शुरू की.
3. फैज़ ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती हुए और सेवाएं दी. लेकिन विभाजन के वक़्त उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और लाहौर वापस आ गए. लाहौर वापस आने के बाद उन्होंने इमरोज़ और पाकिस्तान टाइम्स का संपादन किया.
4. फैज़ अहमद फैज़ बेहद क्रांतिकारी थे और यही कारण था कि उन्हें काफी समय जेल में बिताना पड़ा था. बटवारे के बाद फैज़ ने पाकिस्तान की हुकूमत के खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू की. उन्होंने 1951 में लियाकत अली खान की सरकार के खिलाफ मौर्चा खोला. उन पर तख्तापलट की साजिश का आरोप लगाया गया और उन्हें 1951 से 1955 तक जेल हुई.
5. फैज़ अहमद फैज़ 1955 में जेल से वापस आए. फैज़ ने अपना लेखन जारी रखा और इसी बीच उन्हें देश से निकाल दिया गया. देश से निकाले जाने के बाद उन्होंने कई साल लंदन में बिताए.
6. जुल्फिकार अली भुट्टो जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री बने तो फैज़ को वापस लाया गया. जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार में उन्हें कई जिम्मेदारियां दी गईं. उन्हें कल्चरल एडवाइज़र बनाया गया.
7. 1977 में तत्कालीन आर्मी चीफ जिया उल हक ने पाकिस्तान में तख्ता पलट किया. जिया उल हक के शासन के खिलाफ फैज ने ‘हम देखेंगे' नज़्म लिखी थी.
8. फ़ैज अहमद फ़ैज का नाम दुनिया के महानतम शायरों और कवियों में गिना जाता है. वे विचारों से साम्यवादी थे और पाकिस्तान कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े थे.
9. फ़ैज अहमद फ़ैज ने आधुनिक उर्दू शायरी को एक नई ऊंचाई दी. साहिर, क़ैफ़ी, फ़िराक़ आदि उनके समकालीन शायर थे.
10. फ़ैज अहमद फ़ैज को 1963 में लेनिन शांति पुरस्कार मिला था. इतना ही नहीं उन्हें 1984 में नोबेल पुरस्कार के लिए नामित गया था.
VIDEO: फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का तराना हिन्दू-विरोधी है या नहीं, IIT कानपुर करेगा जांच
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