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सिल्वर, तांबा, मिट्टी या लोहा, आयुर्वेद के अनुसार किस बर्तन में खाना खाने से सेहत पर कैसा असर होता है?

Best utensils to eat food in: आइए आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से जानते हैं, किस धातु या सामग्री के बर्तन में खाना खाने से शरीर पर कैसा असर होता है.

सिल्वर, तांबा, मिट्टी या लोहा, आयुर्वेद के अनुसार किस बर्तन में खाना खाने से सेहत पर कैसा असर होता है?
किस बर्तन में खाना चाहिए खाना?

Which utensil is best for health: कहा जाता है कि 'जैसा अन्न, वैसा मन' यानी आप जैसा खाना खाते हैं, आपकी सेहत पर उसका वैसा ही असर पड़ता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि खाने से अलग बर्तन का भी आपकी सेहत पर उतना ही प्रभाव पड़ता है? खासकर आयुर्वेद में बर्तनों के महत्व को बहुत गहराई से समझाया गया है. आइए आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से जानते हैं, किस धातु या सामग्री के बर्तन में खाना खाने से शरीर पर कैसा असर होता है.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

इसे लेकर एमडी (आयुर्वेद) डॉ. मनीषा मिश्रा ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में वे बताती हैं- 

चांदी (Silver)

चांदी को ठंडा और बुद्धि बढ़ाने वाला माना गया है. इसमें एंटी-एजिंग और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुण होते हैं. अगर आप चांदी के गिलास में पानी, दूध या कोई ठंडा पेय पीते हैं, तो यह शरीर को ठंडक और स्फूर्ति देता है.

तांबा (Copper)

तांबे के बर्तनों को आयुर्वेद में शुद्धिकारी और एंटीमाइक्रोबियल माना गया है. तांबे का पानी पीने से पाचन सुधरता है और शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं. हालांकि, ज्यादा मात्रा में तांबे का पानी पीना सही नहीं है. एक सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करें.

लोहा (Iron)

लोहे के बर्तनों में खाना खाने से शरीर में आयरन की कमी दूर होती है. लोहे का असर ठंडा होता है और यह आंखों, त्वचा, दिमाग और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अच्छा है. डॉ. मनीषा बताती हैं, पुराने समय में लोग लोहे की कढ़ाई में खाना बनाकर खाया करते थे, जिससे स्वाभाविक रूप से आयरन की पूर्ति होती थी.

कांसा (Bronze)

कांसे के बर्तन दिमाग को तेज करने, शरीर को क्षारीय (Alkaline) बनाए रखने और पाचन को बेहतर करने में मदद करते हैं. यह खाने को ज्यादा हेल्दी बनाता है.

मिट्टी के बर्तन (Clay pots)

मिट्टी के बर्तनों को सबसे प्राकृतिक माना गया है. इनमें खाना बनाने से उसमें प्राकृतिक क्षारीयता आती है, खुशबू और स्वाद बरकरार रहता है, साथ ही यह पचने में हल्का और पोषक भी होता है.

कांच (Glass)

इन सब से अलग आयुर्वेदिक डॉक्टर बताती हैं, कांच के बर्तन रासायनिक रूप से निष्क्रिय माने जाते हैं. इनमें कोई केमिकल लीचिंग नहीं होती, इसलिए ये किसी भी तरह के भोजन के लिए सुरक्षित होते हैं.

डॉ. मनीषा के मुताबिक, अगर आप चांदी, तांबे, लोहे, कांसे और मिट्टी के बर्तनों का सही इस्तेमाल करेंगे, तो यह नेचुरल तरीके से आपके शरीर को पोषण देंगे और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करेंगे. 

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.


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