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हार्मोनल इंबैलेंस, अनियमित पीरियड्स और फोड़े-फुंसियों को दूर करने में मदद करेगा न्यूट्रिशनिस्ट का बताया यह एक नुस्खा 

अक्सर ही महिलाओं को हार्मोनल इंबैलेंस के कारण कई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से दोचार होना पड़ता है. ऐसे में न्यूट्रिशनिस्ट का बताया तरीका इस नुस्खे पर रामबाण साबित होता है. 

हार्मोनल इंबैलेंस, अनियमित पीरियड्स और फोड़े-फुंसियों को दूर करने में मदद करेगा न्यूट्रिशनिस्ट का बताया यह एक नुस्खा 
इस तरह दूर होगी हार्मोनल इंबैलेंस से जुड़ी दिक्कतें. 

Healthy Tips: शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस होता है तो कई तरह के लक्षण दिखने लगते हैं. हार्मोनल इंबैलेंस के कारण चेहरे पर फोड़े-फुंसियां या एक्ने नजर आ सकते हैं, इससे अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods) की दिक्कत हो सकती है, वजन बढ़ सकता है, स्किन पर खुजली हो सकती है या फिर मूड खराब रहने लगता है. ऐसे में हार्मोनल इंबैलेंस को ठीक करना जरूरी होता है. न्यूट्रिशनिस्ट किरण कुकरेजा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर ऐसा ही एक कमाल का घरेलू नुस्खा शेयर किया है जो हार्मोनल इंबैलेंस (Hormonal Imbalance) को ठीक करने में असरदार होता है. इस नुस्खे को तैयार करना मिनटों का काम है. 

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हार्मोनल इंबैलेंस के लिए घरेलू नुस्खे | Home Remedies For Hormonal Imbalance 

न्यूट्रिशनिस्ट के अनुसार, इस नुस्खे को आजमाने के लिए आपको एक कप कद्दू के बीज, एक कप अलसी के बीज (Flaxseeds), एक चम्मच सौंफ के दाने और 1-2 दालचीनी की डंडी ले लें. इसके बाद सभी चीजों को एकसाथ लेकर 7 से 8 मिनट तक भून लें और फिर ठंडा करके पीसें. इस तैयार पाउडर को रोजाना एक चम्मच खाया जा सकता है. इस पाउडर को खाने का सही तरीका है कि इसे नाश्ता करने से आधे घंटे पहले खाया जाए. इस पाउडर को चबाते हुए खाएं और सीधा ना निगलें. 

ऐसे ठीक होगा हार्मोनल इंबैलेंस 
  • हार्मोनल इंबैलेंस को ठीक करने के लिए एक्टिव रहना जरूरी है. इसके लिए एक्सरसाइज करते रहें और जितना हो सके उतना फिजिकली फिट रहने की कोशिश करें. 
  • वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ता है तो उससे भी हार्मोनल इंबैलेंस हो सकता है. हार्मोनल इंबैलेंस को एकबार फिर बैलेंस करने के लिए वजन को मेंटेन (Weight Maintain) करना जरूरी होता है. वजन कम करने के लिए अच्छी डाइट, एक्सरसाइज या योगा की जा सकती है.
  • अपने शुगर इंटेक को कंट्रोल में रखना जरूरी है. शुगर इंटेक कम होगा तो स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतें खुद ही कम होने लगेंगी. 
  • पाचन और गट हेल्थ पर खासा ध्यान देने के लिए तनाव को कम करना भी जरूरी होता है. तनाव या स्ट्रेस मैनेजमेंट से भी हार्मोनल इंबैलेंस कम होता है. 

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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