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इन 10 हैंडलूम साड़ियों को पहनकर आप भी दिखेंगी रॉयल, हर भारतीय महिला के पास होनी चाहिए ये विरासत

National Handloom Day 2025: यहां हम आपको 10 ऐसी हैंडलूम साड़ियों के बारे में बता रहे हैं, जो हर महिला के वॉर्डरोब में जरूर होनी चाहिए.

इन 10 हैंडलूम साड़ियों को पहनकर आप भी दिखेंगी रॉयल, हर भारतीय महिला के पास होनी चाहिए ये विरासत
हर भारतीय महिला के पास होनी चाहिए ये 10 हैंडलूम साड़ी

National Handloom Day 2025: हर साल 7 अगस्त को नेशनल हैंडलूम डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य हमारे देश की बुनकरी परंपरा और कारीगरों को सम्मान देना है. हैंडलूम यानी हाथ से बनी हुई कपड़े की कला. ये हमारी संस्कृति, इतिहास और पहचान है. ऐसे में यहां हम आपको 10 ऐसी हैंडलूम साड़ियों के बारे में बता रहे हैं, जो हर महिला के वॉर्डरोब में जरूर होनी चाहिए.

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कांजीवरम (तमिलनाडु)

कांजीवरम को 'साड़ियों की रानी' कहा जाता है. इसे शुद्ध रेशम और चांदी से बनी जरी से तैयार किया जाता है. कांजीवरम साड़ी पहनना हर दक्षिण भारतीय दुल्हन का सपना होता है. ये साड़ी पारंपरिक और रॉयल लुक के लिए परफेक्ट है.

जामदानी (पश्चिम बंगाल)

जामदानी साड़ियां हल्की, मुलायम और बेहद नाजुक डिजाइनों वाली होती हैं. इसमें हर मोटिफ हाथ से बुना जाता है और एक-एक धागा साड़ी को खूबसूरत बनाता है.

चंदेरी (मध्य प्रदेश)

चंदेरी साड़ी सिल्क और कॉटन के मिश्रण से बनती हैं, साथ ही ये साड़ी इतनी हल्की होती है कि पहनने वाले को इससे आरामदायक शायद ही कुछ लगे. 

पैठाणी (महाराष्ट्र)

पैठाणी साड़ी में खास होते हैं मोर, कमल और फूलों के मोटिफ्स. इसकी बनावट रेशमी धागों और डिजाइन गोल्डन जरी से किया जाता है. वहीं, सबसे खास बात यह है कि असली पैठाणी कभी पुरानी नहीं लगती, बल्कि समय के साथ और भी सुंदर दिखती है. यानी ये एक पीढ़ी से दूसरी तक चलने वाली विरासत है.

पोचमपल्ली इकत (तेलंगाना)

पोचमपल्ली की साड़ियों की पहचान है इसके ज्योमेट्रिक पैटर्न्स और चमकीले रंग. इसमें डाई करने से पहले धागों को डिजाइन किया जाता है. अगर आपको थोड़ा हटकर स्टाइल चाहिए, तो पोचमपल्ली की बोल्ड डिजाइन वाली साड़ी जरूर ट्राय करें. ये स्मार्ट और यूनिक लुक देती है.

बनारसी (उत्तर प्रदेश)

शादी हो या त्योहार, बनारसी साड़ी हर जगह फिट बैठती है. इसकी बारीक जरी कढ़ाई और मुगल डिजाइन इसे खास बनाते हैं. वहीं, अब बनारसी साड़ी पेस्टल, मिनिमल और मॉडर्न अवतार में भी आ रही हैं.

कसावु (केरल)

केरल की कसावु साड़ी सादगी की मिसाल है. सादा सफेद रंग और सुनहरी बॉर्डर वाली ये साड़ी बेहद सुंदर लगती है. ये कपास और सिल्क दोनों में मिलती है और खासतौर पर ओणम जैसे त्यौहारों में इसे पहना जाता है.

मूगा सिल्क (असम)

असम में मिलने वाला ये रेशम दुनिया में कहीं और नहीं मिलता है. मूगा सिल्क अपने प्राकृतिक सुनहरे रंग और चमक के लिए जाना जाता है. वहीं, इससे तैयार साड़ियां बहुत टिकाऊ और बेहद कीमती होती हैं.

पाटोला (गुजरात)

पाटोला साड़ियां डबल इकत तकनीक से बनाई जाती हैं, जिसमें दोनों ओर एक जैसा पैटर्न होता है. इस एक साड़ी को बनाने में महीनों लगते हैं.

इलकल (कर्नाटक)

इन सब से अलग इलकल साड़ियां सिंपल होती हैं लेकिन देखने में बहुत स्टाइलिश लगती हैं. इसकी पहचान है लाल रंग का पल्लू और मिट्टी जैसे रंग. ये कॉटन या सिल्क-कॉटन में मिलती हैं और खासकर गर्मियों के लिए परफेक्ट रहती हैं.

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