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यूट्यूब शॉर्ट्स और Reel देखने से बच्चों के दिमाग पर कैसा असर पड़ता है? आपका बच्चा भी देखता है, तो जरूर जान लें ये बात

Parenting Tips: कई बार माता-पिता बिजी होने पर बच्चों के हाथ में फोन थमा देते हैं और बच्चे देर तक रील्स और शॉर्ट्स देखते रहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह के ये वीडियो आपके बच्चे को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं? आइए जानते हैं इस बारे में-

यूट्यूब शॉर्ट्स और Reel देखने से बच्चों के दिमाग पर कैसा असर पड़ता है? आपका बच्चा भी देखता है, तो जरूर जान लें ये बात
YouTube Shorts, Instagram Reels देखने से कैसे होता है बच्चों को नुकसान?

Parenting Tips: आज के समय में YouTube Shorts, Instagram Reels और TikTok जैसे प्लेटफॉर्म बच्चों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं. कई बार माता-पिता भी बिजी होने पर बच्चों के हाथ में फोन थमा देते हैं और बच्चे देर तक रील्स और शॉर्ट्स देखते रहते हैं. 15-90 सेकंड के ये छोटे वीडियो मजेदार होते हैं और जल्दी-जल्दी नए दृश्य दिखाते हैं. ऐसे में बच्चे इन्हें बार-बार देखना पसंद करते हैं. अब, ये बात भले ही आम लगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह के ये वीडियो आपके बच्चे को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं? आइए जानते हैं इस बारे में- 

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YouTube Shorts, Instagram Reels देखने से कैसे होता है बच्चों को नुकसान?

नंबर 1- ध्यान और फोकस पर असर

शॉर्ट वीडियो दिमाग को बार-बार नएपन का अहसास कराते हैं. हर स्वाइप पर कुछ अलग दिखता है, जिससे दिमाग तुरंत रिएक्ट करता है. इससे धीरे-धीरे बच्चों की ध्यान लगाने की क्षमता कम हो सकती है. एक स्टडी में पाया गया कि ऐसे वीडियो ज्यादा देखने से बच्चों की खुद को रोकने की क्षमता कमजोर होती है, जिससे वे पढ़ाई या किसी काम में पर लंबे समय तक फोकस नहीं कर पाते हैं. उन्हें हर चीज जल्दी-जल्दी चाहिए होती है.

नंबर 2- नींद पर खराब प्रभाव

शॉर्ट वीडियो देखना बच्चों की नींद को भी खराब करता है. स्क्रीन की तेज रोशनी मेलाटोनिन नाम के हार्मोन को देर से रिलीज होने देती है, जिससे नींद आने में दिक्कत होती है. साथ ही तेज, मजेदार या चौंकाने वाली क्लिप्स दिमाग को उत्तेजित कर देती हैं. इससे भी बच्चे को रात को नींद नहीं आती है और अगले दिन उनमें बेचैनी और चिड़चिड़ेपन का एहसास बढ़ जाता है.

नंबर 3- गलत और हानिकारक कंटेंट का खतरा

इन सब से अलग शॉर्ट वीडियो बिना रुके चलते रहते हैं. कभी-कभी एक स्वाइप में ही बच्चों के सामने हिंसक, डरा देने वाला या उम्र-अनुसार गलत कंटेंट आ सकता है. क्योंकि वीडियो छोटे होते हैं, उनमें कोई चेतावनी या संदर्भ नहीं होता, जिससे असर और अधिक गहरा हो सकता है.

क्या किया जा सकता है?

बच्चे को जितना हो सके, उतना कम फोन दें. अगर आप थोड़ी देर के लिए मोबाइल दे रहे हैं, तो बच्चे को ऐसा कंटेंट दिखाएं, जिससे उन्हें कुछ सीखने को मिले. साथ ही उनके साथ बैठकर चीजें देखें. शॉर्ट वीडियो बच्चे की मेंटल और फिजिकल हेल्थ, दोनों पर खराब असर डाल सकते हैं. ऐसे में अपने बच्चे के लिए सही चीजें चुनें. 

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
 

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