विज्ञापन
This Article is From Jul 15, 2018

झारखंड में बच्‍चा चोरी के शक में क्‍यों और कैसे भीड़ ने की 7 लोगों की हत्‍या

18 मई 2017 को जमशेदपुर के पास दो अलग-अलग जगहों पर बच्चा चोरी के शक में 7 लोगों की भीड़ ने हत्या कर दी. अफ़वाहों की शुरुआत कहां से हुई जब पुलिस ने इसकी जांच-पड़ताल शुरू की तो वह लोकल पत्रकार शंकर गुप्ता और सुशील अग्रवाल तक पहुंची.

झारखंड में बच्‍चा चोरी के शक में क्‍यों और कैसे भीड़ ने की 7 लोगों की हत्‍या
फाइल फोटो
नई दिल्ली: 18 मई 2017 को जमशेदपुर के पास दो अलग-अलग जगहों पर बच्चा चोरी के शक में 7 लोगों की भीड़ ने हत्या कर दी. अफ़वाहों की शुरुआत कहां से हुई जब पुलिस ने इसकी जांच-पड़ताल शुरू की तो वह लोकल पत्रकार शंकर गुप्ता
और सुशील अग्रवाल तक पहुंची. पुलिस का दावा है कि हमले से 7 दिन पहले इस तरह के मैसेज व्हाट्सऐप पर फैलने शुरू हुए. 

बिहार : पत्नी के हत्यारे को लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला

पुलिस को जांच में पता चला कि शंकर गुप्ता ने 11 मई को ये मैसेज पोस्ट किए. इस मैसेज में लिखा था कि बच्चा चोर जादूगोड़ा में घुस चुके हैं. इसके बाद दुरकू गांव में एक बच्चे को अगवा करने की कोशिश कर रहे लोगों को सुबह 8 बजे लोगों ने पकड़ा. गांववालों की सूचना के बाद पुलिस ने बच्चा चोरों को पकड़ लिया. इसके बाद अग्रवाल ने कुछ घंटों बाद ये मैसेज पोस्ट किया. अगवा करने वालों के पास ATM कार्ड, चॉकलेट, गेंदें और बेहोशी की दवा मिली है. गुप्ता के मैसेज उस ग्रुप पर चले जिसका वो एडमिनिस्ट्रेटर है. इस ग्रुप से 225 लोग जुड़े हुए हैं, जिनमें पत्रकार, पुलिस अधिकारी और लोकल अफसर शामिल हैं.

महाराष्ट्र के धुले में 5 लोगों की पीट-पीटकर हत्‍या मामले में मुख्‍य आरोपी गिरफ्तार

पुलिस का कहना है ये सारे मैसेज फ़र्ज़ी हैं. उसने गुप्ता को गिरफ्तार किया और अग्रवाल से पूछताछ की. गुप्ता ज़मानत पर बाहर है और उसका कहना है कि ये मैसेज उसने भेजने शुरू नहीं किये थे. व्हाट्सऐप पर संदेश फैलने से पहले 1 और 6 मई को ये लेख हिंदुस्तान और प्रभात खबर में छपे. दोनों ही इस इलाके में काफी तादाद में पढ़े जाने वाले अखबार हैं. दोनों ने ही जमशेदपुर के पास चाकुलिया गांव से 12 साल के एक लड़के को अगवा करने की कोशिश की खबर छापी. 5 दिन बाद खबर छपी कि मानसिक रूप से परेशान एक शख्स को बच्चा चोरी करने की कोशिश के आरोप में पास के गांव में भीड़ ने मार डाला. ये खबर किसकी है ना तो उस संवाददाता का नाम था, ना पुलिस का बयान, लेकिन लड़के का फोटो छपा था.

भीड़ के हमले, सरकार ने Whatsapp को सनसनीखेज संदेशों को रोकने का आदेश दिया

पुलिस के पास अपहरण के बारे में कोई जानकारी नहीं है. 13 साल के सुपाई का पता लगाने के लिए हम चाकुलिया गांव गए.  सुपाई अपनी बहन और दादा-दादी के साथ रहता है, उसने बताया कि उसके घर में कोई घुस आया था लेकिन ये साफ नहीं है कि वो चोर था या बच्चा अगवा करने वाला है, लेकिन जब हमने स्थानीय लोगों से बात की तो कहानी अपहरण की तरफ मुड़ गई. अपराधों के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में बच्चा चोरी के मामले बढ़ रहे हैं. 2014 से 2016 के बीच जितने अपहरण हुए उसके 3 गुना 2017 में हुए हैं. 

केरल में आदिवासी युवक की हत्या मामले पर वीरेंद्र सहवाग ने किया विवादित ट्वीट, फिर मांगी माफी

झारखंड में बच्चों के अपहरण
2014: 94
2015: 122 
2016: 288 
स्रोत: NCRB रिपोर्ट

प्राइम टाइम इंट्रो : अपनों को हत्यारा बनाने से पहले संभल जाइये!

लेकिन पुलिस मानती है कि झूठी अफवाहों से बढ़ते अपहरणों का कोई लेना देना नहीं है. यानी वो फर्जी खबरें कहां से आती हैं. उनके बारे में पूरी गहराई से पड़ताल होनी चाहिए, जिनसे पीट-पीटकर मारने की घटनाएं होती हैं.

VIDEO: महाराष्ट्र के धुले में 5 लोगों की पीट-पीटकर हत्‍या मामले में मुख्‍य आरोपी गिरफ्तार


 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com