टमाटर पर पढ़ रही बारिश की मार!
- वर्तमान में टमाटर की कीमतें बढ़कर सौ रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं जिससे आम जनता प्रभावित हो रही है
- कर्नाटक, महाराष्ट्र, हिमाचल, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश टमाटर उत्पादन के प्रमुख राज्य हैं.
- भारी बारिश के कारण कई राज्यों में टमाटर की आपूर्ति प्रभावित हो रही है जिससे मंडियों में टमाटर की कमी हो रही.
टमाटर डालने से सब्जी का जायका और रंगत बढ़ जाती है. लेकिन इन दिनों टमाटर के बढ़े हुए दाम से लोगों के चेहरे लाल हो रहे हैं. टमाटर की कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है. आनेवाले दिनों में टमाटर की कीमत और बढ़ने के आसार हैं. ऐसे में लोगों के घर का बजट बिगड़ रहा है. लेकिन टमाटर का कोई विकल्प भी नहीं है, इसलिए लोग मजबूर हैं. आखिर, एकाएक टमाटर के दाम आसमान क्यों छू रहे हैं? क्या कई राज्यों में बाढ़-बारिश की मार के कारण टमाटर लाल हो रहा है? टमाटर कब सस्ता हो सकता है, आइए जानते हैं?
थोक मंडी में टमाटर की क्या है कीमत?
बारिश के मौसम में आमतौर पर टमाटर के दाम हर साल थोड़ा बढ़ जाते हैं. मौसम की मार हर साल टमाटर पर देखने को मिलती है, लेकिन इस बार टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं, आम लोग टमाटर की जगह अब सब्जी में नीबू डालने को मजबूर हो रहे हैं. थोक मंडी में टमाटर के दाम इन दिनों लगभग डबल हो गए हैं. आजाद पुर मंडी में काम करने वाले सब्जी विक्रेता साहिल ने बताया कि 25 किलो टमाटर के एक कैरेट की कीमत इन दिनों 1200 रुपये से लेकर 1600 रुपये हो गई है. दाम टमाटर की क्वालिटी पर निर्भर करता है. गीला और थोड़ा छोटा टमाटर 1200 रुपये कैरेट में बिक रहा है और थोड़ा बड़ा और सूखा टमाटर का एक कैरेट 1600 रुपये तक है. ऐसे में मंडी में ही टमाटर के दाम 60 रुपये प्रति किलो के आसपास हैं, तो आम लोगों तक पहुंचते-पहुंचते इसकी कीमत 100 रुपये तक जा रही है.

किन राज्यों से आ रहा टमाटर
टमाटर की सबसे ज्यादा पैदावार कर्नाटक, महाराष्ट्र, हिमाचल, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में होती है. साहिल ने बताया कि इन दिनों मंडी में सबसे ज्यादा टमाटर बेंगलुरु और महाराष्ट्र से आ रहा है. शिमला का टमाटर पिछले महीने मंडी में आया था, लेकिन अब वहां से माल नहीं आ रहा है. वहां की ज्यादातर पैदावार मंडी में आ चुकी है. फिर हिमाचल में काफी बारिश भी हो रही है. इसलिए वहां से अब टमाटर न के बराबर आ रहा है. उत्तराखंड भी बाढ़-बारिश की चपेट में है. ऐसे में मंडियों को बेंगलुरु और महाराष्ट्र की पैदावार पर निर्भर रहना पड़ रहा है. साहिल ने कहा कि उनकी कर्नाटक के बड़े टमाटर विक्रेताओं से बात हुई, जिन्होंने बताया कि कोलार, चिंतामणि और मदनपल्ली में टमाटर की पैदावार काफी अच्छी हुई है. अगर इन क्षेत्रों में टमाटर की पैदावार ठीक नहीं होती, तो आज उत्तर भारत में टमाटर के दाम आज और ज्यादा होते. हालांकि, वह यह भी कहते हैं कि बेंगलुरु और उसके आसपास के क्षेत्रों से भी टमाटर की इतनी आमद नहीं हो रही है, जो मांग को पूरा कर सके. इसलिए टमाटर के दाम लगातार बढ़ रहे हैं.
टमाटर पर पढ़ रही बारिश की मार!
टमाटर पर इस बार बारिश की मार सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है. बारिश के कारण कई जगह हाईवे प्रभावित हो रहे हैं, जिससे टमाटर से भरे ट्रक मंडी तक समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. टमाटर से भरे ट्रक को अगर मंडी तक पहुंचने में एक दिन की भी देरी होती है, तो वह खराब होना शुरू हो जाता है. इस मौसम में ज्यादातर ट्रक ड्राइवरों को भारी बारिश का सामना करना पड़ रहा है. इस कारण भी टमाटर के दाम बढ़ रहे हैं. अगर मॉनसून की बारिश का आलम ऐसा ही रहा, तो टमाटर आने वाले दिनों में और लाल हो सकता है.

हम कैसे बेचें सस्ता टमाटर?
थोक मंडी में इस समय 60 से 70 रुपये प्रतिकिलो मिलने वाला टमाटर आपके घर तक आते-आते 100 रुपये तक कैसे पहुंच जाता है? जब ये सवाल हमने ठेले पर सब्जी बेचने वाले अहमद से पूछा, तो उसने कहा कि हम कैसे सस्ता टमाटर बेच सकते हैं, जब पीछे से ही हमें मंहगा मिल रहा है? मंडी में टमाटर के दाम 60 से 70 रुपये किलो हैं. फिर मंडी से दुकान तक टमाटर लाने का किराया भी इसमें हमें शामिल करना पड़ता है. वहीं, एक कैरेट में एक से दो किलो टमाटर खराब भी निकल जाता है. ऐसे में हम 100 रुपये किलो टमाटर अगर नहीं बेचेंगे, तो हमें कुछ बचेगा ही नहीं.
टमाटर के दाम कब घटेंगे?
टमाटर विक्रेता साहिल बताते हैं कि अभी सिर्फ बेंगलुरु और महाराष्ट्र से टमाटर आ रहा है. शिमला का टमाटर पिछले महीने तक आया था, अब वहां से न के बराबर टमाटर आ रहा है. उत्तराखंड का भी यही हाल है. बेंगलुरु और महाराष्ट्र से आने वाले टमाटर पर मंडिया निर्भर हैं. यहां से भी डिमांड के मुताबिक माल नहीं आ रहा है. ऐसे में जल्द टमाटर के दाम गिरने वाले नहीं हैं. कम से कम एक महीने तक टमाटर के दाम ऐसे ही बने रह सकते हैं. इसके बाद टमाटर की कीमत कम होने की उम्मीद की जा सकती है.
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