अशोक चव्हाण का फाइल फोटो...
मुंबई:
महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी के बीच की दरार और चौड़ी होती दिख रही है। इस बार वजह बना है विधान परिषद का चुनाव। इस चुनाव में 10 जून को वोट पड़ने हैं। इस चुनाव में विधान परिषद के उम्मीदवार को विधानसभा सदस्य को वोट देना हैं।
चुनाव की रणनीति तय करने के लिए मुंबई में बुलाई गई बैठक में कांग्रेस विधायकों का एनसीपी को लेकर गुस्सा फूट पड़ा। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विधायक यह सवाल उठाते सुने गए कि आखिर कोई कांग्रेसी क्यों एनसीपी उम्मीदवार को वोट दे?
महाराष्ट्र विधान परिषद की 10 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी के एकत्रित संख्याबल के आधार पर केवल 3 उम्मीदवार जीत सकते हैं। इन 3 सीटों में से 2 सीटों पर एनसीपी दावा कर रही है। संख्याबल के आधार पर कांग्रेस से छोटी पार्टी होने के बावजूद एनसीपी अपने दावे पर अड़िग है, जिसके चलते महाराष्ट्र कांग्रेस में इस दावेदारी को लेकर गुस्सा है। एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे यह ऐलान कर चुके हैं कि दोनों दल यह चुनाव एक साथ लड़ेंगे।
प्रदेश कांग्रेस के चीफ विप अब्दुल सत्तार ने मुंबई की बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए एनसीपी उम्मीदवार को वोट देने का सवाल दोहराया। साथ ही उन्होंने कहा कि एनसीपी की ताक़त कांग्रेस से कम है। उसमें से दो एनसीपी विधायक जेल में हैं। ऐसे में एनसीपी को दो सीटें और कांग्रेस को केवल एक सीट... ये हां का इंसाफ है?
दरअसल, एनसीपी ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवाजीराव देशमुख के खिलाफ़ विधान परिषद के सभापति के पद से बेदखल किया था। एनसीपी की इस करतूत पर कांग्रेस विधायकों में भारी नाराजगी है। यह भी एक और वजह है कि ज्यादातर विधायक आगामी विधान परिषद चुनाव में एनसीपी को दो सीट देने और उनके उम्मीदवार जितवाने के पक्ष में नहीं हैं।
चुनाव की रणनीति तय करने के लिए मुंबई में बुलाई गई बैठक में कांग्रेस विधायकों का एनसीपी को लेकर गुस्सा फूट पड़ा। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विधायक यह सवाल उठाते सुने गए कि आखिर कोई कांग्रेसी क्यों एनसीपी उम्मीदवार को वोट दे?
महाराष्ट्र विधान परिषद की 10 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी के एकत्रित संख्याबल के आधार पर केवल 3 उम्मीदवार जीत सकते हैं। इन 3 सीटों में से 2 सीटों पर एनसीपी दावा कर रही है। संख्याबल के आधार पर कांग्रेस से छोटी पार्टी होने के बावजूद एनसीपी अपने दावे पर अड़िग है, जिसके चलते महाराष्ट्र कांग्रेस में इस दावेदारी को लेकर गुस्सा है। एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे यह ऐलान कर चुके हैं कि दोनों दल यह चुनाव एक साथ लड़ेंगे।
प्रदेश कांग्रेस के चीफ विप अब्दुल सत्तार ने मुंबई की बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए एनसीपी उम्मीदवार को वोट देने का सवाल दोहराया। साथ ही उन्होंने कहा कि एनसीपी की ताक़त कांग्रेस से कम है। उसमें से दो एनसीपी विधायक जेल में हैं। ऐसे में एनसीपी को दो सीटें और कांग्रेस को केवल एक सीट... ये हां का इंसाफ है?
दरअसल, एनसीपी ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवाजीराव देशमुख के खिलाफ़ विधान परिषद के सभापति के पद से बेदखल किया था। एनसीपी की इस करतूत पर कांग्रेस विधायकों में भारी नाराजगी है। यह भी एक और वजह है कि ज्यादातर विधायक आगामी विधान परिषद चुनाव में एनसीपी को दो सीट देने और उनके उम्मीदवार जितवाने के पक्ष में नहीं हैं।
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