भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी राष्ट्रीय टीम में क्‍यों किया फेरबदल, जानिए- वजह

नयी सूची में ज्यादातर पदाधिकारियों को उपाध्यक्ष, महासचिव और सचिव के पद पर बरकरार रखा गया है. सूची में 13 उपाध्यक्ष, नौ महासचिव, संगठन महामंत्री बी एल संतोष और 13 सचिव शामिल हैं.

नई दिल्‍ली:

भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने पार्टी के केंद्रीय पदाधिकारियों की टीम में बदलाव किया है. नयी सूची में 13 उपाध्यक्ष और नौ महासचिव शामिल हैं. विधान परिषद सदस्य और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर को भाजपा उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. मंसूर एक पसमांदा मुसलमान हैं. भाजपा की तेलंगाना इकाई के पूर्व अध्यक्ष बंदी संजय कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया. देश में अगले साल लोकसभा चुनाव हैं, इससे पहले कई राज्‍यों में विधानसभा चुनाव भी हैं. ऐसे में भाजपा संगठन में इस बदलाव की क्‍या जरूरत थी, आइए जानते हैं...? 

राष्ट्रीय महासचिव: क्यों गए, क्यों आए
राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि : कर्नाटक विधानसभा में अपना ही चुनाव सी टी रवि हार गए थे. वह विधानसभा चुनाव के समय बी. एस. येदियुरप्पा से भिड़ भी गए थे. हालांकि, वह बी. एल. संतोष के करीबी माने जाते हैं. लेकिन कहा जाता है कि वह महासचिव के तौर पर छाप छोड़ने में नाकाम रहे. शायद यही वजह रही कि उन्‍हें अब जाना पड़ा है. 
दिलीप सैकिया : संगठन के इस कदम को क्षेत्रीय संतुलन बैठाने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है. नए चेहरों को मौका देने की सोच भी इस बदलाव के पीछे की वजह है.

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष: क्यों गए, क्यों आए
दिलीप घोष: इनकी बयानबाजी पर अंकुश नहीं लग पा रहा. 
भारतीबेन शायल: क्षेत्रीय संतुलन की कवायद

सचिव: राष्ट्रीय उपाध्यक्ष: क्यों गए, क्यों आए 
हरीश द्विवेदी: क्षेत्रीय संतुलन की कवायद 
सुनील देवधर: दूसरी जिम्मेदारी मिलेगी
विनोद सोनकर: क्षेत्रीय संतुलन की कवायद

क्यों आए, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष 
लक्ष्मीकांत वाजपेयी
-पश्चिमी यूपी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा
-लंबे समय से हाशिए पर थे

लता उसेंडी
- छत्तीसगढ़ बीजेपी का प्रमुख चेहरा
- चुनावी राज्य की महिला नेता

तारिक मंसूर
- मुस्लिम जगत में बड़ा नाम
- हाल तक एएमयू के वाइस चांसलर थे
- बीजेपी संघ के नेताओं से नजदीकी 

महासचिव बंदी संजय कुमार
- तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष के तौर पर प्रभावी काम
- गुटबाजी के चलते प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए थे
- पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य और अब राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी

राधा मोहन अग्रवाल
- लगातार पंद्रह साल गोरखपुर शहर विधायक रहे
- योगी आदित्यनाथ के लिए छोड़ी सीट
- हाल में राज्य सभा भी भेजे गए

सचिव
कामाख्या प्रसाद ताला
- सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के बेहद करीबी
- बतौर सांसद प्रभावी काम

सुरेंद्र सिंह नागर
- बीएसपी से बीजेपी में आए
- अनुच्छेद 370 में मतदान के समय दिया साथ
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ताकतवर नेता

अनिल एंटनी
- पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी के बेटे
- हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए
- केरल में पैर पसारने में बीजेपी को मिलेगी मदद

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भाजपा संगठन में प्रभारी और सह-प्रभारियों की भूमिका अहम होती है। वे पार्टी की प्रदेश इकाई और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कड़ी का काम करते हैं.