कांग्रेस विधायक दिगंबर कामत ने मंगलवार को कहा कि गोवा विधानसभा में विपक्ष का नेता कौन होगा, इसका फैसला पार्टी आलाकमान करेगा. पिछले सप्ताह नेता प्रतिपक्ष चन्द्रकांत कावलेकर के नेतृत्व में कांग्रेस के 10 विधायकों ने भाजपा में विलय कर लिया था जिससे पार्टी को बड़ा झटका लगा है. राज्य में 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आयी कांग्रेस के पास अब महज पांच विधायक बचे हैं. गोवा विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को शुरू हुआ जिसमें नेता प्रतिपक्ष की सीट खाली दिखी. विधानसभा परिसर के बाहर कामत ने आज संवाददाताओं से कहा कि गोवा कांग्रेस प्रभारी ए. चेल्लाकुमार पांचों विधायकों से मुलाकात के बाद दिल्ली गए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के नेता का फैसला दिल्ली में होगा. गौरतलब है कि बीती 13 जुलाई को गोवा में बीजेपी सरकार की कैबिनेट का विस्तार हो गया है. इसमें कांग्रेस से आए तीन विधायकों को कैबिनेट में जगह दी गई है. विपक्ष के नेता रहे चंद्रकांत कावलेकर को डिप्टी सीएम बनाया गया है. बाबुश अतानासियो मोनसेरात की पत्नी जेनिफर और फिलिप नेरी रॉड्रिग्ज को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है. डिप्टी स्पीकर माइकल लोबो को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. इससे पहले गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल से पहले शनिवार को चार मंत्रियों को अपने मंत्रिमंडल से हटा दिया.
इन मंत्रियों में गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के तीन और एक निर्दलीय विधायक शामिल है. इस संबंध में अधिसूचना दोपहर में जारी की गई. अधिसूचना के अनुसार चार मंत्रियों- उप मुख्यमंत्री विजय सरदेसाई, जल संसाधन मंत्री विनोद पालेकर, ग्रामीण विकास मंत्री जयेश सालगांवकर (सभी जीएफपी विधायक) और राजस्व मंत्री रोहन खुंटे (निर्दलीय) को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया. इन मंत्रियों के स्थान पर माइकल लोबो और कांग्रेस से भाजपा आने वाले 10 में से तीन विधायकों को शामिल किया गया.
वहीं कांग्रेस के 10 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने पर पार्टी के बड़े नेता भले ही खुश हो रहे हों लेकिन ऐसा लगता है कि कार्यकर्ता इस कदम से ज्यादा खुश नही हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक से जुड़े बीजेपी के कार्यकर्ता सुमंत जोगलेकर का कहना है, 'मैं पूरी तरह से हतोत्साहित हो गया हूं. मैं उनको (कांग्रेस विधायकों) को बीजेपी और कैबिनेट में शामिल करने के विचार के फैसले से सहमत नही हूं'. आपको बता दूं कि सुमंत के पिता गोवा में आरएसएस के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और उनका राज्य में बीजेपी को खड़ा करने में बड़ा योगदान रहा है. सुमंत ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'हमारे नेताओं को जनता से नहीं मिलना होता. हमें सामना करना पड़ता है. हमें सदस्यता और वोटों के लिए बात करनी पड़ती है. मैं अपने सिद्धांतों समझौता के लिए राजी नहीं हूं. मैं इस फैसले के खिलाफ हूं.
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