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कभी अधीर रंजन के खास, फिर बीजेपी और ममता का साथ, जानें कौन हैं बाबरी की बुनियाद रखने वाले हुमायूं कबीर

हुमायूं कबीर ने ऐलान किया है कि उनकी नई पार्टी राज्य की 135 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. नई पार्टी की घोषणा 22 दिसंबर को की जाएगी. साथ ही उन्‍होंने AIMIM के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. 

कभी अधीर रंजन के खास, फिर बीजेपी और ममता का साथ,  जानें कौन हैं बाबरी की बुनियाद रखने वाले हुमायूं कबीर
  • हुमायूं कबीर ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी पर आरएसएस का एजेंट होने का आरोप लगाते हुए बड़ा हमला किया है
  • उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव नई पार्टी के साथ लड़ने और AIMIM के साथ गठबंधन करने की घोषणा की है
  • हुमायूं कबीर का राजनीतिक सफर कांग्रेस, टीएमसी, बीजेपी में रहने के बाद फिर टीएमसी में वापसी का रहा है
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पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ दिनों से एक नाम की सबसे ज्‍यादा चर्चा है. खास तौर पर मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद शिलान्‍यास समारोह से जुड़ा यह नाम है हुमायूं कबीर का. प्रदेश के भरतपुर से विधायक हुमायूं कबीर को हाल में तृणमूल कांग्रेस पार्टी की अनुशासन समिति ने पार्टी से सस्‍पेंड कर दिया था.

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में बाबरी मस्जिद निर्माण की घोषणा करने वाले टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर पार्टी से निलंबित होने से नाराज हैं. दरअसल, मस्जिद निर्माण की उनकी घोषणा ने टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को नाराज कर दिया था, इसी के चलते हुमांयू कबीर को सस्‍पेंड किया गया. कार्रवाई के बाद हुमायूं कबीर ने ममता बनर्जी पर बड़ा हमला बोलते हुए उन्हें आरएसएस का एजेंट बताया. टीएमसी विधायक ने ऐलान किया है कि वह अगला विधानसभा चुनाव एक नई पार्टी के साथ लड़ेंगे.

हुमायूं कबीर ने ऐलान किया है कि उनकी नई पार्टी राज्य की 135 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. नई पार्टी की घोषणा 22 दिसंबर को की जाएगी. साथ ही उन्‍होंने AIMIM के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. 

कौन हैं हुमायूं कबीर

हुमायूं कबीर मुर्शिदाबाद जिले की भरतपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं. रेजिनगर के एक सामान्य परिवार से आने वाले हुमायूं कबीर का राजनीतिक सफर उठापटक भरा रहा है. उन्हें मुर्शिदाबाद की राजनीति का शानदार खिलाड़ी माना जाता है. उन्होंने मुर्शिदाबाद में कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी के करीबी सहयोगी के रूप में राजनीति में कदम रखा. वह 2009 से कांग्रेस की मुर्शिदाबाद इकाई के महासचिव थे.

कैसा है सियासी सफर

साल 2011 के विधानसभा चुनाव में हुमायूं कबीर कांग्रेस के टिकट पर रेजिनगर से पहली बार विधायक चुने गए. साल 2012 में अधीर रंजन चौधरी से मतभेदों की वजह से वह TMC में शामिल हो गए और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, उसी साल उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. साल 2015 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण TMC से छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद वह 2018 में BJP में शामिल हुए और 2019 का लोकसभा चुनाव मुर्शिदाबाद सीट से लड़ा, लेकिन हार गए. साल 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले वह फिर से TMC में लौटे और भरतपुर से विधायक चुने गए.

बयानों को लेकर विवाद

हुमायूं कबीर अपने तीखे और कई बार सांप्रदायिक बयानों की वजह से पहले भी विवादों में रहे हैं. अप्रैल 2025 में वक्फ बिल को लेकर मुर्शिदाबाद में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद भी उनके बयानों पर काफी बवाल मचा था.

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