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कृषि सखी कौन हैं और कैसे काम करेंगी? मोदी सरकार के इस मास्टर स्ट्रोक की शिवराज सिंह चौहान ने खुद की घोषणा

Krishi Sakhi Program : शिवराज सिंह चौहान को कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय सौंपना पीएम मोदी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. मंत्रालय संभालते ही मामा के नाम से मध्य प्रदेश में विख्यात शिवराज सिंह चौहान ने कृषि सखी कार्यक्रम की शुरूआत कर दी है.

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कृषि सखी कौन हैं और कैसे काम करेंगी? मोदी सरकार के इस मास्टर स्ट्रोक की शिवराज सिंह चौहान ने खुद की घोषणा
पीएम मोदी और शिवराज सिंह चौहान की जोड़ी खेती में नये आयाम जोड़ सकती है.

Krishi Sakhi Program : किसान और महिला वोटरों पर मोदी सरकार की खास नजर है. यही कारण है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने शिवराज सिंह चौहान को इस बार कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी है. शिवराज सिंह चौहान ने इन दोनों वोटरों के दम पर ही मध्य प्रदेश में सालों तक भाजपा को सत्ता में बनाए रखा. अब पूरे देश के किसानों और ग्रामीण महिलाओं के लिए काम कर भाजपा की सत्ता को मजबूत करने के काम में जुट गए हैं. चुनाव के बाद प्रधानमंत्री मोदी का सबसे पहला भव्य सरकारी कार्यक्रम भी शिवराज सिंह चौहान के मंत्रालय की तरफ से किया जा रहा है. आज खुद शिवराज सिंह चौहान ने इसकी घोषणा की. उन्होंने बताया कि देश के 12 राज्यों में कृषि सखी कार्यक्रम की शुरूआत कर दी गई है. गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, झारखंड, मेघालय, राजस्थान, महाराष्ट्र में फिलहाल यह कार्यक्रम शुरू किया गया है. आगे अन्य राज्यों में भी इसकी शुरूआत होगी. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय मिलकर इस कार्यक्रम को चलाएंगे. दोनों मंत्रालयों ने एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया है.   

कृषि सखी कार्यक्रम क्या है?
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने का संकल्प है. इसमें से लगभग एक करोड़ लखपति दीदी बन चुकी हैं, 2 करोड़ और बनानी हैं. उसी का एक आयाम है कृषि सखी. किसानों की सहायता के लिए ग्रामीण इलाके की बहनों को प्रशिक्षण देकर तैयार किया है ताकि वो खेती में अलग-अलग कामों के माध्यम से किसानों का सहयोग कर सकें और लगभग 60-80 हजार रुपये तक की सालाना अतिरिक्त आय अर्जित कर पाएं. कृषि सखी कार्यक्रम को चरण 1 में 12 राज्यों; गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मेघालय में शुरू किया गया है. 

कैसे काम करेंगी?
कृषि सखी कार्यक्रम के तहत आज तक 34,000 से अधिक कृषि सखियों को पैरा-एक्सटेंशन वर्कर के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है. कृषि सखियों को कृषि पैरा-विस्तार कार्यकर्ताओं के रूप में इसलिए चुना जाता है, क्योंकि वे गांव की ही हैं और उन्हें खेती की जानकारी होती है. कृषि सखियों को विभिन्न कृषि पद्धतियों के बारे में व्यापक प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे वे साथी किसानों को प्रभावी ढंग से सहायता और मार्गदर्शन देने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं. एक साल पहले कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत शुरू किया गया. इसके तहत 70,000 कृषि सखियों को प्रशिक्षण देने का उद्देश्य रखा गया. अब 34,000 प्रमाण पत्र लेकर काम शुरू करेंगी.

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18 जून को मिलेंगे प्रमाण पत्र
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री ने आज बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों को पीएम किसान योजना की 17वीं किस्त जारी करने तथा कृषि सखियों के रूप में 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए 18 जून को वाराणसी का दौरा करेंगे. यह कार्यक्रम केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित किया जाएगा. प्रधानमंत्री ने पद ग्रहण करने के बाद सबसे पहले किसान सम्मान निधि की 17वीं किश्त किसानों को जारी करने को लेकर हस्ताक्षर किए. तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने सबसे पहले कार्यक्रम में पीएम किसान की बहुप्रतीक्षित 17वीं किस्त, 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि, 9.26 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसानों को प्रधानमंत्री द्वारा वाराणसी से बटन के एक क्लिक से वितरित की जाएगी.

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2.5 करोड़ किसान शामिल होंगे
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 18 जून को अन्नदाताओं की खुशहाली के साथ विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का श्री गणेश होने जा रहा है. इस दिन कई केंद्रीय मंत्री किसानों से बातचीत करेंगे और उनमें अपने विभाग की विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 50 कृषि विज्ञान केंद्रों का दौरा करेंगे और वर्चुअली कार्यक्रम से जुड़ेंगे. उन्होंने कहा कि देश भर से लगभग 2.5 करोड़ किसान इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. किसानों में जागरूकता पैदा करने के लिए देश भर से 732 कृषि विज्ञान केंद्र, 1.0 लाख से अधिक प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां और 5.0 लाख कॉमन सर्विस सेंटर भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे.

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