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This Article is From Oct 19, 2023

सौम्या विश्वनाथन की हत्या की रात क्या हुआ था? पुलिस ने कैसे सुलझाई मर्डर मिस्ट्री?

Soumya Vishwanathan Murder Case: 25 साल की सौम्या विश्वनाथन हेडलाइंस टुडे की जर्नलिस्ट थीं. 30 सितंबर 2008 को वो ऑफिस से अपनी कार से वापस घर आ रही थीं. लेकिन दिल्ली के वसंत विहार में आधी रात उनकी हत्या कर दी गई थी.

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सौम्या विश्वनाथन की हत्या की रात क्या हुआ था? पुलिस ने कैसे सुलझाई मर्डर मिस्ट्री?
सौम्या विश्वनाथन की हत्या के 15 साल बाद आरोपियों को दोषी करार दिया गया.
नई दिल्ली:

30 सिंतबर 2008 की. 25 साल की सौम्या विश्वनाथन (Soumya Vishwanathan) के लिए ये दिन बाकी दिनों की तरह नॉर्मल दिन था. सौम्या 'हेडलाइंस टुडे' में जर्नलिस्ट थीं और उस दिन किसी स्टोरी पर काम करने के लिए देर रात तक ऑफिस में रुकी थीं. देर रात वह काम खत्म कर अपनी कार से घर के लिए निकली थीं. लेकिन सौम्या (Soumya Vishwanathan Murder Case) नहीं जानती थीं कि आखिरी बार कार ड्राइव कर रही हैं. सुबह के करीब साढ़े 3 बजे थे, जब सौम्या की कार सड़क पर पलटी हुई मिली. एक राहगीर ने पुलिस को फोन किया. पुलिस मौके पर पहुंची. शुरुआत में ये एक एक्सीडेंट लगा, लेकिन जब पुलिस ने सौम्या की बॉडी देखी, तो वो हैरान रह गए. सौम्या ड्राइविंग सीट पर गिरी हुई थी, सिर के पीछे गोली का निशान था. जब गाड़ी की हालत देखी, तो पता चला कि केवल ड्राइविंग सीट का कांच टूटा हुआ था, बाकी शीशे ठीक थे, कार के आगे का एक पहिया पंचर था. क्राइम सीन देखकर पुलिस को ये समझने में देर नहीं लगी कि ये हत्या लूट के लिए की गई है. सौम्या को अस्पताल लेकर जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई.

जर्नलिस्ट सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस : साकेत की कोर्ट ने पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया

सौम्या विश्वनाथन की हत्या के 15 साल बाद आरोपियों को दोषी करार दिया गया. दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में 5 लोगों को दोषी ठहराया. रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अक्षय कुमार को हत्या और लूट का दोषी ठहराया गया है. अजय सेठी को दूसरों की मदद करने का दोषी ठहराया गया.

हत्या की मामले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि वंसत विहार के लिए जाते समय सौम्या ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, अक्षय कुमार और बलजीत मलिक की कार को ओवरटेक किया था. पुलिस ने बताया कि चारों दोषियों ने देखा कि उन्हें ओवरटेक करने वाली महिला ड्राइवर अकेली थी. उन लोगों ने कार की स्पीड बढ़ाई और सौम्या का पीछा करना शुरू किया. पहले तो उन्होंने सौम्या की कार को रोकने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं रुकीं. इसके बाद कपूर ने उस पर देसी कट्टे से गोली चला दी. गोली सौम्या के सिर में लगी, जिससे उनकी तुरंत मौत हो गई. सौम्या की कार नेल्सन मंडेला मार्ग पर, उनके घर के पास एक डिवाइडर से टकराकर रुक गई.

उसी सुबह करीब 3.45 बजे, पास के रेस्तरां के एक स्टाफ ने साइकिल से घर जाते हुए एक महिला को कार में देखा. कार की हेडलाइट्स और इंजन चालू थी. उसने कुछ गाड़ियां रोकने की कोशिश की, फिर पुलिस को कॉल किया. सौम्या को एम्स ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि सौम्या ने सुबह करीब 3.15 बजे अपने पिता को फोन किया था और बताया था कि वह घर लौट रही है. आधे घंटे से भी कम समय में उसकी हत्या कर दी गई.

VIDEO : जब सौम्या मर्डर केस में 15 साल बाद आया फैसला, तो मां ने जांच अधिकारी को लगा लिया गले

हत्या की जांच करने वाले एक अधिकारी ने कहा, "हत्यारे घटनास्थल से भाग गए, लेकिन सौम्या जिंदा है या नहीं... ये देखने के लिए वो 20 मिनट बाद वापस लौटे. जब उन्होंने मौके पर पुलिस को देखा, तो भाग गए." पुलिस को सौम्या का फोन और पर्स कार में मिला

मामले की जांच दिल्ली साउथ डिस्ट्रिक्ट की पुलिस ने की, उस समय दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के स्पेशल कमिश्नर एचजीएस धालीवाल के अधीन थी. कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए धालीवाल ने कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण मामला था. क्योंकि पीड़ित और हत्यारों के बीच कोई फिजिकल कॉन्टैक्ट नहीं था. उन्होंने कहा, "चलती गाड़ी से सिर्फ एक गोली चलाई गई, जो सौम्या को लगी और उसकी मौत हो गई." अधिकारी ने कहा कि परिवार को सीबीआई जांच की भी पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने दिल्ली पुलिस के साथ बने रहने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि दिल्ली पुलिस उनके भरोसे पर खरी उतरी.

दरअसल, इस केस को लेकर दिल्ली पुलिस पर काफी दवाब था. पुलिस जांच पड़ताल में जुट गई. सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए. सौम्या के ऑफिस से निकलने का आखिरी फुटेज पुलिस के हाथ लगा. इसके बाद सौम्या कैसे-कहीं गई, किसने हमला किया, कैसे हमला किया... इन सवालों का जवाब पुलिस को अभी तक नहीं मिला था. करीब 6 महीने तक दिल्ली पुलिस के हाथ सौम्या के हत्यारों का कोई खास सबूत नहीं लग पाया.

पुलिस को 2009 में एक अन्य महिला जिगिशा घोष की हत्या की जांच के दौरान सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस के सबूत मिले थे. घोष की 18 मार्च 2009 को लूटपाट के बाद हत्या कर दी गई थी. इस सिलसिले में रवि कपूर को गिरफ्तार किया गया था. पूछताछ के दौरान उन्होंने कहा कि उन्होंने एक और महिला की हत्या कर दी है.

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दरअसल, दिल्ली से सटे फरीदाबाद के सूरजकुंड इलाके में आईटी कंपनी में काम करने वाली जिगिषा घोष की बॉडी मिली. पुलिस मामले की जांच पड़ताल में जुट गई. दो-तीन में ही जिगिषा घोष मर्डर केस सुलझ गया. इस केस के जांच अधिकारी अतुल कुमार वर्मा बताते हैं कि पुलिस को पहला सुराग सीसीटीवी फुटेज मिला. इस फुटेज में एक आरोपी के हाथ पर टैटू दिखा था. आरोपियों ने जिगिषा के डेबिट कार्ड से शॉपिंग की थी. दूसरे आरोपी के पास पुलिसकर्मी से चुराया गया वायरलेस था और उसने टोपी पहन रखी थी. इन सुरागों के मिलने के बाद पुलिस ने ह्यूमन इंटेलिजेंस नेटवर्क पर बारीकी से काम किया. जल्द ही मसूदपुर स्थित बलजीत मलिक के घर पर दबिश कर दी. इसके बाद अन्य आरोपी रवि कपूर और अमित शुक्ला को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

कोर्ट के फैसले के बाद सौम्या के माता-पिता माधवी विश्वनाथन और एमके विश्वनाथन की आंखों से आंसू छलक पड़े. मीडिया से बात करते हुए माधवी विश्वनाथन ने कहा, "हमने अपनी बेटी को खो दिया है, लेकिन यह दूसरों के लिए एक सबक के रूप में काम करेगा. वरना दोषियों का साहस बढ़ जाता." कोर्ट का फैसला आने पर सौम्या की मां ने सीनियर पुलिस अफसर एचजीएस धालीवाल को गले लगा लिया. उन्होंने कहा कि वह दोषियों के लिए उम्रकैद की सजा चाहती हैं.

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