
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार दिया. अदालत ने कहा कि पूरी चयन प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण और दागदार थी. अदालत ने कलकत्ता हाई कोर्ट के पिछले साल 22 अप्रैल के फैसले को बरकरार रखा.हाई कोर्ट ने इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया था.हाई कोर्ट ने दागी अभ्यर्थियों को अब तक मिले वेतन को वापस करने का आदेश दिया था.सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित होने वाले लोग राज्य सरकार की ओर से संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में कार्यरत हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है. बीजेपी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की गिरफ्तारी और इस्तीफे की मांग की है. वहीं बनर्जी का कहना है कि वो फैसले का सम्मान करती हैं.
सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार के पीठ ने अपने 41 पेज के फैसले में कहा है,''यह एक ऐसा मामला है जिसमें पूरी चयन प्रक्रिया को दूषित और सुधारने से परे दागदार बना दिया गया.बड़े पैमाने पर हेरफेर और धोखाधड़ी, साथ ही तथ्यों को छिपाने के प्रयास ने चयन प्रक्रिया को सुधार और आंशिक शोधन से परे नुकसान पहुंचाया है. चयन की विश्वसनीयता और वैधता खत्म हो गई है.''

यह घोटाला सामना आने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की काफी किरकिरी हुई थी.
क्या है पश्चिम बंगाल का शिक्षक भर्ती घोटाला
यह मामला पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से आयोजित 2016 की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता से जुड़ा है. इसमें 24,640 पदों के भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी. इसमें 23 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे. आयोग ने कुल 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किए थे. इन नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया गया था. इसके बाद यह मामला अदालत पहुंचा.
एसएससी ने 2014 में 24,640 पदों के लिए भर्ती निकाली थी. इन पदों के लिए आयोग ने 2016 में भर्ती परीक्षा आयोजित की थी. इसमें 23 लाख से अधिक लोग शामिल हुए. भर्ती परीक्षा का परिणाम 27 नवंबर 2017 को आया था.इसमें गड़बड़ी का आरोप लगाया गया. बाद में आयोग ने बिना कोई कारण बताए मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया. सिलीगुड़ी की रहने वाली बबिता सरकार नाम की अभ्यर्थी बेटिंग लिस्ट में 20 नंबर पर थीं. लेकिन बाद में वेटिंग लिस्ट में उनका स्थान 20 से बदलकर 21 कर दिया गया. इस लिस्ट में 20वें नंबर पर अंकिता अधिकारी का नाम शामिल कर दिया गया. बबिता के मुताबिक 2016 में हुई भर्ती परीक्षा में उन्हें 77 अंक मिले थे और अंकिता को 61 अंक मिले थे.कम नंबर होने के बाद भी आयोग ने अंकिता को कूच बिहार जिले के मेखलीगंज के इंदिरा उच्च विद्यालय में राजनीति विज्ञान के शिक्षक के रूप में नियुक्त कर दिया.अंकिता ममता सरकार के शिक्षा राज्यमंत्री मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी हैं.

पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री रहे पार्थ चटर्जी की महिला मित्र के घर मिला नोटों का जखीरा.
लगातार बदलती रही मेरिट लिस्ट
नई मेरिट लिस्ट के खिलाफ बबीता और एक अन्य अभ्यर्थी ने कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया. मई 2017 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच करने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की. कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अविजीत गंगोपाध्याय के आदेश पर सरकार ने 2022 में अंकिता अधिकारी को बर्खास्त कर उनसे पूरा वेतन वापस ले लिया. उनकी जगह पर बबीता सरकार को नियुक्ति दी गई. लेकिन बबिता भी अपने पद पर ज्यादा समय तक नहीं रह पाईं. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए बबिता की जगह अनामिका रॉय को नियुक्त करने का आदेश दिया. रॉय का दावा था कि बबिता की मेरिट बनाने में गड़बड़ी की गई है. अदालत ने उनके दावे पर संतुष्ट होते हुए बबिता की नियुक्ति रद्द कर उन्हें वेतन-भत्तों के रूप में मिले 15 लाख 12 हजार 843 रुपये वापस करने के आदेश दिए थे.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने दी दखल
कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस घोटाल की सुनवाई की. उसने रिटायर्ड जस्टिस रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया था.इस समिति को ग्रुप-डी और ग्रुप-सी में हुई नियुक्तियों में भी अनियमितता मिली थी. उसने कहा था कि ग्रुप-सी में 381 और ग्रुप-डी में 609 नियुक्तियां अवैध थीं. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली समेत पांच अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी. इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर हाई कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच करने को कहा.

पश्चिम अपनी महिला मित्र अर्पिता मुखर्जी के साथ बंगाल के तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी.
सीबीआई ने अप्रैल-मई 2022 में पार्थ चटर्जी से पूछताछ की. वो 2014 से 2021 तक ममता बनर्जी सरकार में शिक्षा मंत्री थे. चटर्जी से पूछताछ के बाद सीबीआई ने इस मामले में धन शोधन की शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी शामिल हो गया. ईडी ने 24 जुलाई 2022 को पूछताछ के बाद पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया था. उनके साथ उनकी महिला मित्र और मॉडल अर्पिता मुखर्जी भी गिरफ्तार की गई थीं. अर्पिता के फ्लैट से ईडी ने छापे में 21 करोड़ रुपये से अधिक की रकम और 20 आईफोन बरामद किए थे. ईडी ने इस रकम को शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ा बताया था. ईडी ने अर्पिता के घर एक और छापा मारा. इसमें उनके घर से 27.9 करोड़ रुपए कैश मिला.इनके अलावा ईडी ने 4.31 करोड़ रुपए का सोना भी बरामद किया था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में पार्थ चटर्जी को जमानत दी थी. अदालत ने जमानत देते हुए कहा था कि वो कोई सार्वजनिक पद नहीं संभालेंगे लेकिन विधायक की भूमिका निभाते रह सकते हैं.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले साल 22 अप्रैल को इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था. ममता सरकार ने इस फैसले को 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगा दी थी.लेकिन भर्ती प्रक्रिया रद्द करने के फैसले को सही माना.लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य बताते हुए नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया. अदालत ने अपने आदेश में कुछ अभ्यर्थियों को राहत भी दी है.
सुप्रीम फैसले पर राजनीति
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह न्यायपालिका का सम्मान करती हैं, लेकिन सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्तियों को लेकर फैसले से मानवीय आधार पर असहमत हैं.उन्होंने कहा कि वह प्रभावित उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए गिरफ्तार होने को तैयार हैं.उन्होंने कहा कि उनकी सरकार फैसले का पालन करेगी और संभावित कानूनी विकल्पों पर विचार करेगी.

ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के घर से तीन किलो से अधिक सोना बरामद किया था.
वहीं राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदू अधिकारी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मुख्यमंत्री को नियुक्तियों के अमान्य होने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.उन्होंने कहा,''हम इस मामले में मुख्यमंत्री की संलिप्तता के लिए उनके इस्तीफे और गिरफ्तारी की मांग करते हैं.''
वहीं माकपा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पैदा हुई रिक्तियों को भरने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है. पश्चिम बंगाल में माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि राज्य के स्कूलों में शिक्षा प्रणाली प्रभावित होगी क्योंकि बड़ी संख्या में शिक्षकों की नौकरी चली गई है.यह मामला आज राज्य सभा में उठा. बीजेपी के लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने इस मामले को उठाना चाहा. इस पर तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया. हंगामा बढ़ता देश सभापति ने कार्यवाही स्थगित कर दी.
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