चेन्नई:
तमिलनाडु में तमाम उठापटक के बीच वीके शशिकला अब अपने विधायकों के साथ मिलकर भूख हड़ताल कर सकती हैं. सूत्रों के मुताबिक अगर राज्यपाल ने उन्हें सरकार का गठन करने के लिए नहीं बुलाया तो वह पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के स्मारक पर जाकर भूख हड़ताल कर सकती हैं. लेकिन इसके जवाब में कहा जा रहा है कि शशिकला के धरने की धमकी से राज्यपाल नहीं 'डरने' वाले. सूत्र बताते हैं कि राज्यपाल के लिए स्थायी सरकार जरूरी है, नंबर नहीं.
पिछले रविवार ओ पन्नीरसेल्वम के इस्तीफे के बाद शशिकला ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश किया था लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि गवर्नर सी विद्यासागर राव का इरादा शशिकला के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उन्हें न्यौता देने का है. यह आदेश इस हफ्ते आ सकता है.
गौरतलब है कि निचली अदालत ने जयललिता और शशिकला को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी करार दिया था लेकिन फिर कर्नाटक हाइकोर्ट ने उन्हें रिहा कर दिया था. लेकिन फिर कर्नाटक सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. AIADMK के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि 'अगर पुलिस ने विधायकों को कहीं और इकट्ठा नहीं होने दिया तो वह जयललिता के पोयस गार्डन निवास या पार्टी मुख्यालय के बाहर भी धरना दे सकते हैं.'
बता दें कि शनिवार को चेन्नई से 80 किमो दूर एक निजी रिज़ोर्ट में 127 विधायकों के साथ बैठक करने के बाद शशिकला ने कहा कि 'ज्यादा वक्त लेने का मतलब पार्टी में दरार पैदा करना है. अब कल हम अलग तरीके से विरोध प्रदर्शन करेंगे.' शनिवार को ही सात विधायक पाला बदलकर पन्नीरसेल्वम के कैंप में जा चुके हैं. शिक्षा मंत्री के पंडियाराजन के अलावा तीन सांसद डॉ मैत्रेयां, पीएस पंडियान, ई मधुसुधनन और सी पोन्नायन ने खेमा बदला. हालांकि पन्नीरसेल्वम के पास फिलहाल कुल 9 ही विधायकों का साथ है लेकिन शशिकला की टीम को डर है कि अगर इस तरह विधायक पाला बदलते रहे तो वह सदन में 118 सदस्यों के बहुमत को साबित नहीं कर पाएंगी.
इससे पहले शनिवार को ही शशिकला ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर कहा कि पन्नीरसेल्वम को इस्तीफा दिए सात दिन गुजर चुके हैं और उनके पास पूर्ण बहुमत भी है. ऐसे में संविधान की संप्रभुता, प्रजातंत्र और राज्य के हित के लिए महामहिम जल्द से जल्द कार्यवाही करेंगे तो बेहतर होगा.
पिछले रविवार ओ पन्नीरसेल्वम के इस्तीफे के बाद शशिकला ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश किया था लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि गवर्नर सी विद्यासागर राव का इरादा शशिकला के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उन्हें न्यौता देने का है. यह आदेश इस हफ्ते आ सकता है.
गौरतलब है कि निचली अदालत ने जयललिता और शशिकला को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी करार दिया था लेकिन फिर कर्नाटक हाइकोर्ट ने उन्हें रिहा कर दिया था. लेकिन फिर कर्नाटक सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. AIADMK के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि 'अगर पुलिस ने विधायकों को कहीं और इकट्ठा नहीं होने दिया तो वह जयललिता के पोयस गार्डन निवास या पार्टी मुख्यालय के बाहर भी धरना दे सकते हैं.'
बता दें कि शनिवार को चेन्नई से 80 किमो दूर एक निजी रिज़ोर्ट में 127 विधायकों के साथ बैठक करने के बाद शशिकला ने कहा कि 'ज्यादा वक्त लेने का मतलब पार्टी में दरार पैदा करना है. अब कल हम अलग तरीके से विरोध प्रदर्शन करेंगे.' शनिवार को ही सात विधायक पाला बदलकर पन्नीरसेल्वम के कैंप में जा चुके हैं. शिक्षा मंत्री के पंडियाराजन के अलावा तीन सांसद डॉ मैत्रेयां, पीएस पंडियान, ई मधुसुधनन और सी पोन्नायन ने खेमा बदला. हालांकि पन्नीरसेल्वम के पास फिलहाल कुल 9 ही विधायकों का साथ है लेकिन शशिकला की टीम को डर है कि अगर इस तरह विधायक पाला बदलते रहे तो वह सदन में 118 सदस्यों के बहुमत को साबित नहीं कर पाएंगी.
इससे पहले शनिवार को ही शशिकला ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर कहा कि पन्नीरसेल्वम को इस्तीफा दिए सात दिन गुजर चुके हैं और उनके पास पूर्ण बहुमत भी है. ऐसे में संविधान की संप्रभुता, प्रजातंत्र और राज्य के हित के लिए महामहिम जल्द से जल्द कार्यवाही करेंगे तो बेहतर होगा.
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