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रक्षा क्षेत्र में भारत बड़ी तेज गति से आगे बढ़ रहा है. भारत 2025 तक 250 बिलियन अमेरिकी डालर से अधिक की जरूरतों के साथ एक प्रमुख एयरोस्पेस और रक्षा बाजार के रूप में तेजी से उभर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाटा-एयरबस सी-295 प्लांट का उद्घाटन करते हुए कहा कि हम भारत को विमानन और एयरोस्पेस का एक प्रमुख केंद्र बनाना चाहते हैं. अगर वह अपने इस सपने को आने वाले सालों में पूरा कर दें, तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी. दरअसल, पीएम मोदी सपना देखने के साथ ही उसे पूरा करने में जुट जाते हैं. उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के 'रक्षा औद्योगिक गलियारे' इसका उदाहरण हैं. भारत के दो कॉरिडोर, रणक्षेत्र का पूरा गेम बदल देने की क्षमता रखते हैं.
भारत ने तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो प्रमुख रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित किए हैं. जो स्वदेशी रक्षा उत्पादन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में अहम भूमिका निभाएंगे. इन रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर की वजह से इस क्षे में ₹7,000 करोड़ का निवेश आने का अनुमान है. यूपी और तमिलनाडु का ये बुनियादी ढांचा स्थानीय क्षमताओं को मजबूत करने के साथ-साथ एयरोस्पेस, नौसेना प्रणाली और युद्ध उपकरण जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण को बढ़ावा देता है.
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उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा-
भारत सरकार ने 2018-19 के केंद्रीय बजट के दौरान दो रक्षा औद्योगिक गलियारे, एक उत्तर प्रदेश में और दूसरा तमिलनाडु में स्थापित करने की घोषणा की थी. यूपी डीआईसी भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र की विदेशी निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी. 11 अगस्त 2018 को अलीगढ़ में आयोजित मीट में रक्षा उत्पादन में 3700 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की घोषणा के साथ इसकी शुरुआत हुई.उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण) को विभिन्न अन्य राज्य एजेंसियों के साथ मिलकर इस परियोजना को पूरा करने के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया.
यूपी डीआईसी की योजना के 6 नोडल प्वाइंट- लखनऊ, कानपुर, झांसी, आगरा अलीगढ़ और चित्रकूट हैं, जो उत्तर प्रदेश के मध्य, पूर्व, पश्चिम क्षेत्र में फैला हुआ है और दिल्ली को जोड़ने वाले स्वर्णिम चतुर्भुज के साथ-कोलकाता एक्सप्रेस के नेटवर्क से भी जुड़ा है. यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे इसी परियोजना का हिस्सा है. इसमें हवाई पट्टी का निर्माण, हाईवे, हेलीपेड, पाइप लाइन और बिजली संयंत्र का निर्माण भी शामिल है.
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तमिलनाडु डिफेंस कॉरिडोर- भारत का एक प्रमुख रक्षा उत्पादन केंद्र बनाने का लक्ष्य
तमिलनाडु डिफेंस कॉरिडोर भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य देश के दक्षिणी भाग में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना है. इस कॉरिडोर के माध्यम से तमिलनाडु को भारत का एक प्रमुख रक्षा उत्पादन केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इस कॉरिडोर का मुख्य उद्देश्य रक्षा उपकरणों और हथियारों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना है, ताकि देश की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विदेशी देशों पर निर्भरता कम हो सके. कॉरिडोर में रक्षा उद्योग के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र स्थापित किए जाएंगे जिससे नई तकनीकों का विकास होगा. यह परियोजना एक मजबूत सप्लाई चेन विकसित करेगी जो रक्षा उद्योग के लिए आवश्यक घटकों और सामग्रियों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी.
तमिलनाडु डिफेंस कॉरिडोर के नोडल प्वाइंट
तमिलनाडु डिफेंस कॉरिडोर में 6 नोडल शहर शामिल हैं. इनमें चेन्नई कॉरिडोर का मुख्य केंद्र है और यहां कई रक्षा उत्पादन इकाइयां पहले से ही मौजूद हैं. इसके साथ-साथ होसुर, सलेम, कोयंबटूर और तिरुचिरापल्ली शामिल हैं. इस कॉरिडोर में एयरोस्पेस और डिफेंस पार्क, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, टेस्टिंग सेंटर, कॉमन फैसिलिटीज शामिल होंगे. इस कॉरिडोर के माध्यम से लाखों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. तमिलनाडु डिफेंस कॉरिडोर भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। यह परियोजना देश को एक आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
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