बजट पेश होने के तीन हफ्ते के अंदर विदेश में संप्रभु बॉन्ड (Sovereign Bond) जारी करने का प्रस्ताव सवालों के घेरे में है. ये विवाद खुल कर तब सामने आया जब सरकार ने पूर्व वित्त सचिव एस सी गर्ग का ट्रांसफर कर दिया. संप्रभु बॉन्ड के ज़रिए विदेशों से पैसा जुटाने का ये प्रस्ताव क्या विवादों में घिर गया है? ये सवाल वित्त सचिव रहे एससी गर्ग के तबादले से उठ रहा है. इससे नाराज़ बताए जा रहे गर्ग वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं, हालांकि दावा कर रहे हैं कि सरकार में किसी ने प्रस्ताव पर कभी सवाल नहीं उठाया. सूत्रों के मुताबिक एस सी गर्ग के वित्त मंत्रालय से हटने के बाद नए सचिव ने कार्यभार संभाला है जो नए सिरे से इस प्रस्ताव पर विचार कर सकते हैं.
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खबर ये भी है कि प्रस्ताव को आगे विचार के लिए एक समिति के पास भेजा जा सकता है. संप्रभु बॉन्ड की गारंटी सरकार देती है, लेकिन 1991 के आर्थिक सुधार कार्यक्रम के समय से ही इस विकल्प का विरोध होता रहा है. अब विरोध संघ परिवार के अंदर से भी हो रहा है. जानकार मानते हैं कि संप्रभु बॉन्ड जारी करने का एक ख़तरा भी है. ये बॉन्ड विदेशी करेंसियों में ही होता है और अगर रुपया किसी भी वजह से गिरा तो सरकार की देनदारी बड़ी होती जाएगी. साफ है, विवाद बड़ा होता जा रहा है और सरकार को इसे जल्दी सुलझाना होगा.
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