- ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार थल सेना, नौसेना और वायुसेना मिलकर सरहद पर त्रिशूल सैन्य अभ्यास करेंगे.
- यह अभ्यास तीन नवंबर से तेरह नवंबर तक राजस्थान, गुजरात के रेगिस्तानी इलाकों और उत्तर अरब सागर में आयोजित होगा.
- अभ्यास का मुख्य उद्देश्य जॉइंट ऑपरेशन की क्षमता और समन्वय को मजबूत कर मल्टी डोमेन ऑपरेशंस को प्रभावी बनाना है.
पाकिस्तान के खिलाफ ऑपेरशन सिंदूर के बाद पहली बार थल सेना, नौसेना और वायुसेना मिलकर पाकिस्तान से लगी सरहद पर एक बड़ा सैन्य अभ्यास करने जा रही है. 3 नवंबर से 13 नवंबर तक होने वाला इस ट्राई सर्विस एक्सरसाइज को त्रिशूल नाम दिया गया है, जो भगवान शिव का अस्त्र है. इस अभ्यास का नेतृत्व नौसेना कर रही है, जिसमें थलसेना और वायुसेना हिस्सा ले रही हैं. राजस्थान, गुजरात के सरक्रीक और रेगिस्तान इलाके में यह अभ्यास किया जाएगा. साथ ही उत्तर अरब सागर में समुद्री और एम्फिबीयस ऑपेरशन भी आयोजित होंगे.
इस सैन्य अभ्यास का मुख्य उद्देश्य है जॉइंट ऑपरेशन की कैपेबिलिटी को और मजबूत करना है. ऑपेरशन के दौरान समन्वय को और कारगर बनाना है, जिससे मल्टी डोमेन ऑपरेशंस को असरदार बनाया जा सके. इसमें सेनाएं जॉइंट इंटेलिजेंस, सर्विलांस, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और साइबर युद्ध की बारीकियों से रूबरू होंगी. नौसेना का विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत वायुसेना के लड़ाकू विमानों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से ऑपरेशंस को अंजाम देंगे.
रणनीति, प्रकिया और तकनीक पर होगा फोकस
यह युद्धाभ्यास स्वदेशी प्रणालियों के प्रभावी उपयोग को प्रदर्शित करेगा और आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों के सफल क्रियान्वयन को भी दिखाएगा. इसके साथ ही आधुनिक और भावी युद्ध के बदलते स्वरूप और उभरते खतरों को ध्यान में रखकर रणनीति, प्रकिया और तकनीक पर फोकस करेगा.
सैन्य अभ्यास पाकिस्तान के लिए भी चेतावनी
दरअसल, यह सैन्य अभ्यास पाकिस्तान को एक चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है कि यदि पाकिस्तान ने इस बार हिमाकत की तो जवाब काफी खतरनाक होगा. भारत यह रणनीतिक संदेश देना चाहता है कि वह अपनी सरहद की सुरक्षा पर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.
संयुक्त युद्धाभ्यास में दूसरी एजेंसियां भी लेंगी हिस्सा
इस अभ्यास में गुजरात तट और उत्तरी अरब सागर को कवर करने वाले सेना का दक्षिणी कमान, पश्चिमी नौसेना कमान और वायुसेना की दक्षिणी पश्चिमी वायु कमान शामिल होंगी. इसके अलावा इंडियन कोस्ट गार्ड, बॉर्डर सिक्योरिटी गार्ड और दूसरी केंद्रीय एजेंसियां भी बड़ी संख्या में हिस्सा लेंगी. इससे इनके बीच ऑपेरशन क्षमता के लिए बेहतर तालमेल बनाने में मदद मिलेगी.
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