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This Article is From Aug 07, 2015

फांसी पर बहस : मौत की सजा खत्म करने के लिए त्रिपुरा विधानसभा में प्रस्ताव पारित

फांसी पर बहस : मौत की सजा खत्म करने के लिए त्रिपुरा विधानसभा में प्रस्ताव पारित
त्रिपुरा के मुख्‍यमंत्री माणिक सरकार की फाइल फोटो
अगरतला: मुंबई में 1993 में हुए बम धमाकों के आरोपी याकूब मेमन को फांसी दिए जाने के बाद एक बार फिर ये बहस तेज हो गई थी कि आखिर फांसी की सजा को खत्‍म ही क्‍यों ना कर दिया जाए।

अब त्रिपुरा विधानसभा ने इस ओर कदम बढ़ाते हुए मौत की सजा खत्म करने और जघन्य अपराधों के मामले में मृत्यु होने तक कैद की सजा के प्रावधान के लिए आमराय से शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित किया।

विपक्षी कांग्रेस विधायक जितेन्द्र सरकार ने एक गैर सरकारी प्रस्ताव लाते हुए कहा, ‘मौत की सजा अदालतें आईपीसी की धारा 302 के तहत देती हैं। यह विधानसभा भारत सरकार से इस अधिनियम में आवश्यक संशोधन करने और जघन्य अपराध के मामलों में मौत होने तक कैद की सजा देने रिपीट देने का अनुरोध करती है।’

उन्होंने कहा, ‘मौत की सजा दुर्लभ से दुर्लभतम मामले में दी जाती है लेकिन हमें मानवीय दृष्टिकोण से इसमें बदलाव करने की जरूरत है। दुनिया में हर किसी को जीने का अधिकार है। यह भी कहा गया कि मौत की सजा प्रभावी परिणाम नहीं देती और जघन्य अपराधों की प्रवृति को कम नहीं करती।’ मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा, ‘मौत होने तक उम्र कैद की सजा सही सजा होगी।’ प्रदेश के कानून मंत्री तपन चक्रवर्ती ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि दुनिया में सिर्फ 58 देशों में मौत की सजा का प्रावधान है।

विपक्षी नेता सुदीप रॉय बर्मन (कांग्रेस) ने महात्मा गांधी का हवाला देते हुए कहा, ‘सिर्फ ईश्वर ही हमें जीवन देता है और किसी अन्य के पास किसी व्यक्ति को मारने का अधिकार नहीं है।’ बाद में प्रस्ताव को वोट के लिए रखा गया जिसे निर्विरोध पारित कर दिया गया।

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