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This Article is From Jul 25, 2019

लोकसभा में आज 'तीन तलाक विधेयक' पारित होने की संभावना, बीजेपी ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया

केंद्र सरकार ने लोकसभा में आज विवादास्पद 'तीन तलाक' विधेयक पर चर्चा के बाद उसे पारित किए जाने के लिए सूचीबद्ध किया है.

लोकसभा में आज 'तीन तलाक विधेयक'  पारित होने की संभावना, बीजेपी ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने लोकसभा में आज विवादास्पद 'तीन तलाक' विधेयक पर चर्चा के बाद उसे पारित किए जाने के लिए सूचीबद्ध किया है. आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अपने सांसदों को इसके लिए व्हिप जारी किया है और उनसे सदन में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है. विधेयक में एक साथ, अचानक तीन तलाक दिए जाने को अपराध करार दिया गया है और साथ ही दोषी को जेल की सजा सुनाए जाने का भी प्रावधान किया गया है. नरेन्द्र मोदी सरकार ने मई में अपना दूसरा कार्यभार संभालने के बाद संसद के इस पहले सत्र में सबसे पहले इस विधेयक का मसौदा पेश किया था.    

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कई विपक्षी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया है लेकिन सरकार का यह कहना है कि यह विधेयक लैंगिक समानता और न्याय की दिशा में एक कदम है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक मांग कर रही हैं कि इसे जांच पड़ताल के लिए संसदीय समिति को सौंपा जाए. बीजेपी की अगुवाई वाली राजग सरकार के पास निचले सदन में पूर्ण बहुमत है और उसके लिए इसे पारित कराना कोई मुश्किल काम नहीं होगा. लेकिन राज्यसभा में सरकार को कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ सकता है जहां संख्या बल के लिहाज से सत्ता पक्ष पर विपक्ष भारी है.    

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जनता दल (यू) जैसे बीजेपी के कुछ सहयोगी दल भी विधेयक के बारे में अपनी आपत्ति जाहिर कर चुके हैं. इससे पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा को समाप्त करने से संबंधित विवादास्पद विधेयक को जून में लोकसभा में अपने पहले विधेयक के रूप में पेश किया था. विपक्ष के भारी विरोध के बीच सदन ने विधेयक को 74 के मुकाबले 186 मतों के समर्थन से पेश करने की अनुमति दी थी.

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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में 'मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019' पेश करते हुए कहा था कि विधेयक पिछली लोकसभा में पारित हो चुका है लेकिन सोलहवीं लोकसभा लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के कारण और राज्यसभा में लंबित रहने के कारण यह निष्प्रभावी हो गया. इसलिए सरकार इसे दोबारा इस सदन में लेकर आई है. उन्होंने विधेयक को लेकर विपक्ष के कुछ सदस्यों की आपत्ति को सिरे से दरकिनार करते हुए संविधान के मूलभूत अधिकारों का हवाला दिया था, जिसमें महिलाओं और बच्चों के साथ किसी भी तरह से भेदभाव का निषेध किया गया है. विपक्षी सदस्यों ने इसे एक समुदाय पर केंद्रित और संविधान का उल्लंघन करने वाला बताया था. 
    

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