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This Article is From Oct 15, 2020

जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्री अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ एकजुट, आज शाम अहम बैठक

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों ने दलीय मतभेदों को अलग रखते हुए अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का संकेत दिया है. इस मुद्दे पर नेशनल कान्फ्रेंस के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला के घर शाम चार बजे अहम बैठक बुलाई गई है.

जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्री अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ एकजुट, आज शाम अहम बैठक
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों ने दलीय मतभेदों को अलग रखते हुए अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का संकेत दिया है. इस मुद्दे पर नेशनल कान्फ्रेंस के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला के घर शाम चार बजे अहम बैठक बुलाई गई है. बैठक में पीडीपी, पीपुल्स कान्फ्रेंस, लेफ्ट पार्टियों के अलावा कुछ छोटे दल भी शामिल हो सकते हैं. इसमें गुपकार घोषणा को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा होने की संभावना है

बैठक में फारुक अब्दुल्ला के अलावा दो अन्य पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल होंगी. पीडीपी की प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की रिहाई के बाद इस बैठक को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस बैठक में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने के खिलाफ चर्चा होगी.  दरअसल, 4 अगस्त 2019 को पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला (Farooq Abdulla) के गुपकार स्थित आवास पर तमाम दलों की पहली सर्वदलीय बैठक हुई थी.

इसे गुपकार डेक्लरेशन या गुपकार घोषणा कहा गया था. इस नाम से जारी बयान में राज्य की पहचान, स्वायत्तत्ता और उसको मिले विशेष अधिकारों के लिए मिलकर संघर्ष की बात कही गई थी. अगले ही दिन 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने की घोषणा की थी. इसके तहत राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटा गया था.

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) 14 महीनों बाद रिहा हो गई हैं. मुफ्ती को पिछले साल 4 अगस्त को उस समय नजरबंद कर दिया गया था, जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य को दो भागों में बांटने के साथ ही उसका विशेष दर्जा छीन लिया था. रिहा होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'अब हमें ये याद रखना है कि दिल्ली दरबार ने 5 अगस्त को अवैध और अलोकतांत्रिक तरीके से हमसे क्या लिया था, हमें वो वापस चाहिए.'

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