प्रतीकात्मक तस्वीर
जैसलमेर:
राजस्थान में भारत-पाक की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगती जैसलमेर जिले की सरहद पर चौकसी बरतने वाले सीमा सुरक्षा बल को अब ‘स्मार्ट फोर्स’ के रूप में विकसित किया जाएगा और अब पाक की नापाक करतूतों पर निगरानी रखने के लिए ‘तीसरी आंख’ की मदद ली जाएगी.
सीमा सुरक्षा बल ने इसकी कवायद शुरू कर दी है. जैसलमेर सीमा सुरक्षा बल (उत्तर) के उप महानिरीक्षक अमित लोढ़ा ने बताया कि कई क्षेत्रों में जहां चौकसी बढ़ाने की जरूरत है, वहां सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे इसकी जद में काफी इलाका आ जाएगा.
बीएसएफ के सूत्रों के अनुसार, सरहदी जिलों में सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरों की मदद लेने का यह पहला मौका है और अगर इस क्षेत्र में इस तकनीक का प्रयोग सफल रहता है तो देश की अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को भी सीसीटीवी कैमरों की मदद से अभेद्य बनाया जा सकेगा. सरहदी जैसलमेर में लगने वाले कैमरे इंटरनेट से जुड़े रहेंगे.
उन्होंने बताया कि इससे पहले घुसपैठ रोकने के लिए सरहद पर घंटियां लगाई गई थीं, बाद में तारबंदी में करंट छोड़ने की कवायद की गई और अब सीसीटीवी कैमरे लगाकर सीमा को अभेद्य बनाया जा रहा है.
सूत्रों ने बताया कि ‘शिफ्टिंग सेंड ड्यून्स’ की समस्या को देखते हुए घुसपैठ की आशंका के मद्देनजर संबंधित सरहदी क्षेत्रों में ये सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. यह कवायद तब तक जारी रहेगी जब तक कि समूची सरहद सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में न आ जाए. जैसलमेर जिले की 471 किमी लंबी सीमा पाकिस्तान से जुड़ी हुई है और 30 किमी का क्षेत्र शिफ्टिंग सेंड ड्यून्स के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सीमा सुरक्षा बल ने इसकी कवायद शुरू कर दी है. जैसलमेर सीमा सुरक्षा बल (उत्तर) के उप महानिरीक्षक अमित लोढ़ा ने बताया कि कई क्षेत्रों में जहां चौकसी बढ़ाने की जरूरत है, वहां सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे इसकी जद में काफी इलाका आ जाएगा.
बीएसएफ के सूत्रों के अनुसार, सरहदी जिलों में सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरों की मदद लेने का यह पहला मौका है और अगर इस क्षेत्र में इस तकनीक का प्रयोग सफल रहता है तो देश की अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को भी सीसीटीवी कैमरों की मदद से अभेद्य बनाया जा सकेगा. सरहदी जैसलमेर में लगने वाले कैमरे इंटरनेट से जुड़े रहेंगे.
उन्होंने बताया कि इससे पहले घुसपैठ रोकने के लिए सरहद पर घंटियां लगाई गई थीं, बाद में तारबंदी में करंट छोड़ने की कवायद की गई और अब सीसीटीवी कैमरे लगाकर सीमा को अभेद्य बनाया जा रहा है.
सूत्रों ने बताया कि ‘शिफ्टिंग सेंड ड्यून्स’ की समस्या को देखते हुए घुसपैठ की आशंका के मद्देनजर संबंधित सरहदी क्षेत्रों में ये सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. यह कवायद तब तक जारी रहेगी जब तक कि समूची सरहद सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में न आ जाए. जैसलमेर जिले की 471 किमी लंबी सीमा पाकिस्तान से जुड़ी हुई है और 30 किमी का क्षेत्र शिफ्टिंग सेंड ड्यून्स के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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