लॉकडाउन के समय केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) की शुरुआत की गई थी जिसके तहत लोगों को मिलने वाले अनाज के साथ ही प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज और मिल रहा था.. लेकिन इस योजना को नवंबर में खत्म कर दिया गया जिसका असर करोड़ों लोगों पर पड़ रहा है.
मुम्बई की सड़कों पर फल बेचने वाली लक्ष्मीदेवी अपने घर में कमाने वाली अकेली सदस्य हैं.. पति का कुछ साल पहले निधन हो गया.. घर में छोटी बेटियां हैं जिन्हें वो पढा रही हैं..लॉकडाउन के समय इन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था.. केंद्र सरकार की ओर से उस समय जारी किए गए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) से मिलने वाले अनाज से थोड़ी राहत मिल जाती थी, लेकिन अब उसे बंद कर दिया गया है. जिसके वजह से इनकी परेशानी बढ़ गई है
लक्ष्मीदेवी ने एनडीटीवी को बताया, "इस योजना के खत्म होे से बहुत असर पड़ेगा, हमारे यहां कमाने वाला कोई नहीं है, परेशानी बहुत है, जो राशन मिलता है उसी से घर चलता, मेरे बच्चे खाते पीते हैं, अभी 6 बच्चे हैं, क्या करूं, उन्हें कैसे खिलाऊं?"
वहीं मुंबई की पिंकी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.. पिछले साल पिता की मौत हो गई.. एक बड़ा भाई काम कर रहा है और कर्ज लेकर घर चला रहा है.. पिंकी इस साल कक्षा 12 में पढ़ने वाली थीं, लेकिन पैसे नहीं होने के वजह से इन्हें पढ़ाई छोड़ना पड़ा... केंद्रीय योजना से मिलने वाले अनाज से कुछ राहत मिलता था वो भी अब खत्म हो गया है.
केंद्र सरकार की ओर से जारी इस योजना से करोड़ों लोगों को राहत मिल रहा था, लेकिन अब लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को 5 किलो चावल या गेहूं और हर एक परिवार को 1 किलो चना हर महीने मुफ्त दिया जा रहा था. जून महीने में इस योजना को नवंबर महीने तक बढ़ा दिया गया था. महाराष्ट्र में 1.61 करोड़ राशन कार्ड धारक मौजूद हैं, 52,437 फेयर प्राइस दुकान. केवल महाराष्ट्र में 7 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से फायदा हुआ.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फ़ूड कमिश्नर एनसी सक्सेना ने भी माना कि केंद्र सरकार के इस योजना की अवधि को बढाने की ज़रूरत है. एनसी सक्सेना ने एनडीटीवी को बताया, "इस योजना को करीब 1 साल के लिए जारी रखना चाहिए. फ़ूड स्टॉक में हमारे पास जरूरत से ज़्यादा अनाज पड़ा है, जिसे चूहे का रहे हैं, ऐसे में इन्हें ज़रूरतमंद लोगों में बांटा जाना चाहिए.
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