संविधान को लेकर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का विवादित बयान
- शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने वर्ण व्यवस्था का समर्थन किया.
- अविमुक्तेश्वरानंद ने मनुस्मृति को संविधान से बड़ा बताया.
- शंकराचार्य के अनुसार, संविधान समाज में भेदभाव करता है.
- शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने आरक्षण के खिलाफ अपनी राय व्यक्त की.
उत्तर प्रदेश में राम कथा वाचक की पिटाई के मामले पर चल रही राजनीति के बीच, एनडीटीवी के साथ विशेष बातचीत में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि वे वर्ण व्यवस्था के समर्थक हैं. उन्होंने एनडीटीवी से खास बातचती में कहा कि संविधान से बड़ी मनुस्मृति है. इस बातचीत के दौरानस शंकराचार्य ने संविधान को लेकर विवादित बयान भी दिया. उन्होंने कहा कि संविधान ने देश और समाज को दो टुकड़ों में बांटकर रखा हुआ है. संविधान देश के नागरिकों के बीच भेदभाव करता है.
#NDTVEXCLUSIVE | 'संविधान से बड़ी है मनुस्मृति': शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
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शंकराचार्य ने कहा कि मैं बाबा साहब के संविधान को चुनौती नहीं दे रहे हैं आपको पता होना चाहिए कि बाबा साहब के संविधान के आधार पर ही इस देश में हम सनातन धर्म का पालन कर रहे हैं. क्योंकि उन्होंने आर्टिकल 25, 26, 27, 28, 29 में हमको छूट दी है इसीलिए हम कर रहे हैं बाबा साहब के संविधान के विरुद्ध नहीं कर रहे हैं.अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यह भी कहा कि मनुस्मृति संविधान से भी बड़ी है और मनुस्मृति ही पूरी दुनिया का संविधान है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि संविधान भेदभाव कर रहा है, देश में आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए.
#NDTVExclusive | 'RSS कुछ नहीं कहता है, वो जहां जैसा माहौल होता है वैसा कहता है': शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
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इस बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि शंकराचार्य के रूप में हम जो जिम्मेदारी निभा रहे हैं, उसके लिए वर्ण व्यवस्था को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है. अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि हमारा सनातन धर्म आज की तारीख में अलग हो और कल की तारीख में अलग हो ऐसा नहीं होता है वो हर तारीख में एक जैसा रहता है. इसीलिए उसका नाम सनातन है तो इसलिए आज की तारीख की बात नहीं है अगर आपका आशय यह है कि कोई संविधान की बात करता है कि संविधान से चलेगा. तो फिर संविधान की कथा करो ना हम कहां मना कर रहे हैं.
आरएसएस पर क्या बोले शंकराचार्य?
शंकराचार्य से जब एनडीटीवी की तरफ से पूछा गया कि आपकी भाषा आरएसएस के करीब दिखती है तो उन्होंने कहा कि हम जब बोलते हैं तो धर्म के अनुसार बोलते हैं किसी का चेहरा देख के नहीं बोलते कि कौन संघ है और कौन बेसंघ है. आरएसएस पर अपनी नाराजगी दिखाते हुए उन्होंने कहा कि RSS कुछ नहीं कहता है, वो जहां जैसा माहौल होता है वैसा कहता है.
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