
आईसीएमआर के एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिकेबल डिसीज डिवीजन के डॉ रमन गंगाखेड़कर का कहना है कि कोरोना वायरस को लेकर अभी तक भारत में कुल 9500 सैंपल टेस्ट हुए हैं. भारत में पिछले दो-तीन दिन से हर रोज 500 से 700 सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं. अभी भारत में एक दिन में 10000 सैंपल टेस्ट करने की क्षमता है. अभी उस क्षमता का 5 से 7 फ़ीसदी इस्तेमाल हो रहा है.
डॉ रमन गंगाखेड़कर ने NDTV से कहा कि साउथ कोरिया में जो कोरोना वायरस फैला वह एक कल्ट के चर्च में भीड़ के दौरान फैला, ऐसा अंदेशा है. भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण बाहर से आए लोगों से हुआ. साउथ कोरिया की तर्ज पर भारत में बहुत बड़े स्तर पर टेस्ट करना व्यवहारिक नहीं होगा. अगर कोरोना वायरस का टेस्ट बड़े स्तर पर ओपन कर दिया गया तो इससे जो लोग पॉजिटिव पाए जाएंगे उन पर नजर रखना, उन्हें आइसोलेट करना मुश्किल होगा.
उन्होंने कहा कि प्राइवेट लैब को अगर कोरोना वायरस टेस्ट करने की मंजूरी दी जाती है तो वहां सरकारी लैब की तरह फ्री में टेस्ट करना संभव नहीं होगा. यह सवाल भी उठेगा कि गरीब आम लोग फ्री में टेस्ट कैसे कराएं? प्राइवेट लैब की टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर कांटेक्ट रेसिंग करना भी मुश्किल होगा, यह जानकारी जुटाना भी कि अगर किसी व्यक्ति या नागरिक ने पॉजिटिव पाया गया है तो क्या उसने अपने आपको आइसोलेशन में रखा है या नहीं? यह सुनिश्चित करना मुश्किल होगा.
डॉ रमन गंगाखेड़कर ने कहा कि यह सही है कि टेस्ट सैंपल अगर घर से किसी संदिग्ध मरीज के कलेक्ट किए जाएं तो अच्छा होगा यह मॉडल देखना पड़ेगा. हम मोबाइल टेस्टिंग वैन के जरिए लोगों की रेंडम सैंपल टेस्ट करने पर विचार कर रहे हैं. भारत में अभी कोरोना स्टेज-2 में है.
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