गोरखपुर में बच्चों की मौत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अब तक कोई बयान नहीं आया है.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 5 दिनों में 60 बच्चों की मौत की खबर मीडिया में आते ही देश भर में हाहाकार मचा हुआ है. इत्तेफाक कि बात यह है कि कुछ दिनों बाद ही हम 70वां स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे. गोरखपुर की घटना ने सरकार और प्रशासन के सामने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर आजादी के 70 साल बाद भी इस देश में बच्चों की जान इतनी सस्ती है? इस शर्मनाक हादसे के बाद सत्ता पक्ष अपना तर्क रख रही है तो विपक्ष बयानबाजी से अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में जुट गई है. जबकि देश का आम नागरिक सरकार और सरकारी मशीनरी ये 10 सवाल पूछ रही है.
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- दो दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज का दौरा किया था. इस दौरे के दौरान क्या सीएम योगी ये भी नहीं जान पाए कि किसी भी अस्पताल के लिए जरूरी ऑक्सीजन की सप्लाई में बाधा होने वाली है?
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे के दौरान क्या अस्पताल प्रशासन ने सीएम को ऑक्सीजन के पैसे के बकाए के बारे में सूचना नहीं दी. अगर नहीं दी तो इस प्रशासनिक भूल के लिए हम बच्चों की जान गंवा देंगे?
- एनडीटीवी के पास मौजूद चिट्ठी में स्पष्ट पता चल रहा है कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने स्थानीय डीएम को सूचित किया था कि बकाया भुगतान नहीं हुआ तो वे कड़ा कदम उठाएंगे. इसके बाद भी डीएम ने इसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया?
- क्या ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के लिए 63 लाख रुपए इतनी बड़ी रकम थी कि वह सप्लाई बंद करने जैसा फैसला ले लिया?
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑक्सीजन सप्लाई में पांच दिनों से दिक्कतें आ रहीं थीं. अगर ये भी छोड़ दें तो 30 बच्चों की मौत 36 घंटों के दौरान हुई. अस्पताल में दो-तीन बच्चों की मौत के बाद भी अगर प्रशासन ने ऑक्सीजन की व्यवस्था करने में देरी की तो इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए. क्या सरकारी मशीनरी के पास इतने भी इंतजाम नहीं थे कि वह दो-तीन घंटे के भीतर ऑक्सीजन की सप्लाई बहाल कर सके?
- अक्सर महानगरों में डेंगू, स्वाइन फ्लू के दो-तीन मामले सामने आने के साथ ही पूरा सरकारी अमला और केंद्र सरकार युद्ध स्तर पर इससे निपटने में जुट जाते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बिहार के मुजफ्फरपुर, छत्तीसगढ़ के बस्तर में हर साल खतरनाक बुखार से बच्चों की मौत होती हैं, फिर भी इसे रोकने के लिए खास इंतजाम नहीं किए जाते हैं. तो क्या हम मान लें कि देश की सरकारी मशीनरी केवल महानगरो में रहने वालों के लिए होती हैं?
- मुख्यमंत्री के गृह जिले के सबसे बड़े अस्पताल में प्रशासन इस तरह की लापरवाही कर रही है तो राज्य के दूसरे जिलों की क्या हाल होंगे?
- यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान योगी आदित्यनाथ ने अपने कई भाषणों में दावा किया था कि सत्ता में आते ही जापानी बुखार को लेकर कदम उठाएंगे. इस बार बरसात का सीजन शुरू होने से पहले सरकार ने एहतियातन कोई बड़ा कदम क्यों नहीं उठाया?
- अखिलेश यादव, मायावती, गुलाम नबी आजाद जैसे विपक्षी नेताओं ने एक सुर में इस घटना के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. बड़ा सवाल यह है कि जापानी बुखार की समस्या गोरखपुर में लंबे समय से है. ऐसे में पूर्ववर्ती सरकारों ने इससे निपटने के लिए कोई इंतजाम क्यों नहीं किया?
- 2014 के लोकसभा और 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल की जनसभाओं में कहा था कि दोनों जगह बीजेपी की सरकार बनने के बाद जापानी बुखार की बीमारी से निजात दिलाने में आसानी होगी. पीएम मोदी के वादों का क्या हुआ?
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