दिल्ली में जून माह का शुरुआती दिन अपेक्षाकृत ठंडा रहा और बादल छाए रहे. हरियाणा और पंजाब के कई हिस्सों में फिर बारिश हुई, जिससे न्यूनतम तापमान इस मौसम के सामान्य तापमान से नीचे बना रहा. उधर, पहाड़ों पर भी बारिश के बाद तापमान सामान्य से नीचे दर्ज किया जा रहा है. हालांकि, बिहार में लू का प्रकोप जारी है और बुधवार को 14 स्थानों पर अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक दर्ज किया गया. भारत मौसम विज्ञान विभाग(IMD) के साइंटिस्ट डॉक्टर नरेश कुमार ने NDTV को खास बातचीत में बताया कि शुक्रवार से पारा ऊपर बढ़ना शुरू हो जाएगा. अगले कुछ दिनों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच सकता है.
कल से मैदानी क्षेत्रों में बढ़ने लगेगा पारा
आईएमडी वैज्ञानिक नरेश कुमार ने कहा, "दो तीन दिनों से वेस्टर्न डिस्टर्बेंस बहुत एक्टिव है. इसकी वजह से नॉर्थ वेस्ट इंडिया, हिमालयन रीजन में बारिश हो रही है. बुधवार को काफी बारिश भी हुई है. हिमाचल, उत्तराखंड और भी जगहों पर बारिश हुईं. लेकिन आने वाले 2-3 दिन वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का असर हिमालयन रीजन में रहने वाला है. हालांकि, मैदानी भाग में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का प्रभाव आज तक ही रहने का अनुमान है." उन्होंने कहा कि अभी नॉर्थ वेस्ट इंडिया में बारिश की वजह से तापमान सामान्य से नीचे है. लेकिन दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में तापमान कल से बढ़ना शुरू हो जाएगा और ये 40 डिग्री तक पहुंचेगा.
इन राज्यों में जल्द हीट वेव के आसार
आईएमडी के अनुमान के मुताबिक, उत्तर पश्चिम भारत में हीट वेव का असर कुछ दिनों तक देखने को नहीं मिलेगा. पूर्वी भारत में धीरे-धीरे तापमान बढ़ रहा है. बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम में आने वाले तीन से चार दिनों में हीट वेव के आसार हैं. ये मौसम का उतार-चढ़ाव वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की वजह से आ रहा है.
इस साल मौसम में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे
नरेश कुमार ने कहा, "मई में गर्मी नहीं रही. पिछले साल मार्च और अप्रैल का महीना बहुत गर्म रहा. उस वक्त आए वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का मैदानी इलाकों में प्रभाव नहीं था. मार्च से ही पिछले साल हीट वेव चलने लगी थी. इस साल फरवरी में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आया उसका असर जम्मू कश्मीर में रहा. कई पहाड़ी इलाकों के तापमान बढ़ा. मार्च में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की फ्रीक्वेंसी बढ़ी और इसका मैदानी इलाकों में ज्यादा असर रहा और आज तक भी है, जिससे तापमान में राइजिंग टेंडेंसी नहीं देखी गई.
क्या ये क्लाइमेट चेंज का असर...?
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि पिछले कुछ समय से मौसम तेजी में आ रहे उतार-चढ़ाव के लिए कहीं न कहीं क्लाइमेट चेंज भी एक वजह है. हालांकि, नरेश कुमार ने कहा कि क्लाइमेट चेंज को लेकर फिलहाल ठोस तौर पर नहीं कह सकते. क्लाइमेट चेंज का पता लगाने के लिए काफी सालों के आंकड़ों का अध्ययन करना पड़ता है. हालांकि, वैश्विक स्तर पर भी तापमान बढ़ रहा है.
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