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This Article is From Mar 30, 2022

रामविलास पासवान के नाम से अलॉट बंगले को चिराग पासवान से खाली कराने पहुंची टीम

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत संपदा निदेशालय ने बेदखली के आदेश को अमल में लाने के लिए शहर के बीचों-बीच स्थित बंगले में अपनी टीम भेजी. 

रामविलास पासवान के नाम से अलॉट बंगले को चिराग पासवान से खाली कराने पहुंची टीम
रामविलास पासवान की मृत्यु के लगभग एक साल बाद चिराग पासवान को पिछले साल परिसर खाली करने के लिए कहा गया था.
नई दिल्ली:

लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता को आवंटित बंगले से बाहर किया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि सरकार ने 12 जनपथ रोड स्थित परिसर में एक टीम भेजी है और चिराग पासवान का सामान हटाया जा रहा है. दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास से दो बंगले छोड़कर 12 जनपथ रोड बंगला केंद्रीय मंत्रियों के उपयोग के लिए रखा गया है. रामविलास पासवान की मृत्यु के लगभग एक साल बाद चिराग पासवान को पिछले साल परिसर खाली करने के लिए कहा गया था.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में पूर्व खाद्य मंत्री का दिल की सर्जरी के कुछ दिनों बाद अक्टूबर 2020 में निधन हो गया था. यह घर दिल्ली में लोक जनशक्ति पार्टी का आधिकारिक पता रहा है और इसका इस्तेमाल पार्टी के सभी आधिकारिक कार्यक्रमों और संगठनात्मक बैठकों के लिए किया जाता था. उनकी मृत्यु के बाद, पार्टी ने लॉन में उनकी प्रतिमा स्थापित करते हुए बंगले को एक स्मारक में अवैध रूप से परिवर्तित कर दिया था. जबकि सन् 2000 में केंद्र ने लुटियंस के बंगलों को स्मारक में बदलने पर प्रतिबंध लगा दिया था.

आज, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत संपदा निदेशालय ने बेदखली के आदेश को अमल में लाने के लिए शहर के बीचों-बीच स्थित बंगले में अपनी टीम भेजी. 

रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद से उनके द्वारा स्थापित पार्टी भी अब विभाजित हो गई, क्योंकि उनके बेटे और भाई पशुपति कुमार पारस के बीच उनकी विरासत और पार्टी के नेतृत्व को लेकर मतभेद पैदा हो गए हैं.

गौरतलब है कि लुटियन के बंगलों में मंत्रियों और उनके परिवारों का रुकना आम बात है. 2014 में, सरकार का पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह के साथ लंबे समय तक विवाद चलता रहा था, जिन्होंने लगभग 4 महीने के अधिक समय के बाद अपना 12 तुगलक रोड बंगला खाली किया था. वहीं 2020 में सरकार ने एसपीजी सुरक्षा वापस लेने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा को एक नोटिस भेजकर यह कहते हुए बंगला खाली करने के लिए कहा था कि वह इस सुविधा की हकदार नहीं हैं. जिसके बाद मामले ने राजनीतिक लड़ाई का रूप ले लिया था और कांग्रेस ने सरकार पर "घृणा" और "प्रतिशोध" का आरोप लगाया था. 

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