सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड से जांच करने को कहा है कि प्रोफेसर मानसिक रूप से फिट हैं या नहीं. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच के जज के खिलाफ ना सिर्फ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जजों को चिट्ठियां लिखीं, बल्कि अपने हाथों पर टैटू भी बनवा लिया. हाईकोर्ट ने इस पर अदालत की अवमानना का मामला मानते हुए तीन महीने की सजा सुना दी... लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सरकारी डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड से जांच करने को कहा है कि प्रोफेसर मानसिक रूप से फिट हैं या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा है कि अगर प्रोफेसर का सही में मानसिक संतुलन ठीक नहीं है तो फिर उसे जेल भेजने का कोई औचित्य नहीं बनता. कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वो हमीदिया अस्पताल के डॉक्टरों का बोर्ड बनाए और 11 मई को प्रोफेसर डॉ. ललित रावतानी का मेडिकल टेस्ट कराए. कोर्ट में चार जुलाई तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है. कोर्ट ने प्रोफेसर की पत्नी द्वारा सीलबंद कवर में दी गई मेडिकल रिपोर्ट को भी सरकार को दे दिया है.
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान प्रोफेसर की पत्नी पुष्पा रावतानी ने कोर्ट को बताया कि प्रोफेसर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर एक नियुक्ति को चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि वो जनहित नहीं, बल्कि रिट दायर करें.. लेकिन प्रोफेसर ने इस आदेश का पालन नहीं किया और बेंच के खिलाफ हाईकोर्ट के जजों को भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए चिट्ठियां भेजते रहे. इतना ही नहीं, उन्होंने अपने हाथों पर भी टैटू बनवा लिया. हाईकोर्ट ने चार अप्रैल को अवमानना के तहत तीन महीने की जेल की सजा सुना दी और चार हफ्ते बाद सरेंडर करने के आदेश दिए.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा है कि अगर प्रोफेसर का सही में मानसिक संतुलन ठीक नहीं है तो फिर उसे जेल भेजने का कोई औचित्य नहीं बनता. कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वो हमीदिया अस्पताल के डॉक्टरों का बोर्ड बनाए और 11 मई को प्रोफेसर डॉ. ललित रावतानी का मेडिकल टेस्ट कराए. कोर्ट में चार जुलाई तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है. कोर्ट ने प्रोफेसर की पत्नी द्वारा सीलबंद कवर में दी गई मेडिकल रिपोर्ट को भी सरकार को दे दिया है.
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान प्रोफेसर की पत्नी पुष्पा रावतानी ने कोर्ट को बताया कि प्रोफेसर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर एक नियुक्ति को चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि वो जनहित नहीं, बल्कि रिट दायर करें.. लेकिन प्रोफेसर ने इस आदेश का पालन नहीं किया और बेंच के खिलाफ हाईकोर्ट के जजों को भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए चिट्ठियां भेजते रहे. इतना ही नहीं, उन्होंने अपने हाथों पर भी टैटू बनवा लिया. हाईकोर्ट ने चार अप्रैल को अवमानना के तहत तीन महीने की जेल की सजा सुना दी और चार हफ्ते बाद सरेंडर करने के आदेश दिए.
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