
कोर्ट से मिली अनुराग ठाकुर को राहत
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कोर्ट में अनुराग ठाकुर ने की थी अपील
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रद्द किया एफआईआर
स्टेडियम की जमीन को लेकर भ्रष्टाचार का लगा था आरोप
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गौरतलब है कि अनुराग ठाकुर, धूमल और हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने राज्य की तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार के शासनकाल में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करने वाले उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने 25 अप्रैल, 2014 को प्राथमिकी रद्द करने और धर्मशाला में विशेष न्यायाधीश के समक्ष लंबित आपराधिक मुकदमे की सुनवाई को स्थगित करने से इनकार कर दिया था. यह मुकदमा इन सभी के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र तथा भ्रष्टाचार निरोधी कानून के प्रावधानों में दर्ज मामले के लिए चलाया जा रहा था.
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हमीरपुर से भाजपा सांसद और एचपीसीए के तत्कालीन अध्यक्ष ठाकुर ने अदालत से कहा था कि यह मामला दीवानी विवाद का है लेकिन वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक कारणों से इसे आपराधिक मामला बना दिया. ध्यान हो कि कांग्रेस के दिसंबर, 2012 में सत्ता में आने के बाद धर्मशाला के सतर्कता ब्यूरो ने इस संबंध में एक अगस्त, 2013 को इन सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. गौरतलब है कि अनुराग ठाकुर को कुछ महीने पहले अवमानना मामले में भी सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल चुकी है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने शीर्ष अदालत में नया माफ़ीनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांगी थी.
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इस माफीनामे में अनुराग ठाकुर ने कहा है कि कुछ गलतफहमी और गलत सूचना की वजह से उनसे यह हुआ. उन्होंने कोर्ट के गौरव को कभी कमतर नहीं समझा. इसके लिए वे बेहिचक बिना शर्त और स्पष्ट रूप से कोर्ट से माफी मांगते हैं. कोर्ट ने उनकी मांफी को स्वीकार करते हुए उन्हें बड़ी राहत दी थी. ध्यान हो कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को 14 जुलाई को कोर्ट में पेश होने कहा था. कोर्ट ने कहा था कि ठाकुर बिना शर्त माफीनामा दाखिल करें.
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पहले दाखिल किए गए माफीनामे को नामंजूर करते हुए कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि माफीनामे की भाषा स्पष्ट होनी चाहिए और इसमें गोलमोल नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर अनुराग ठाकुर बिना शर्त माफी मांगते है तो अदालत उन्हें माफ़ भी कर सकती है.(इनपुट भाषा से)
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