सुप्रीम कोर्ट नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और ऑस्कर फर्नांडिस को जारी इनकम टैक्स के नोटिस की वैधता जांचने के लिए तैयार हो गया है. अब सुप्रीम कोर्ट 4 दिसंबर को इस मामले में अंतिम सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के सामने सवाल यह है कि इनकम टैक्स का नोटिस वैध है या नहीं. कोर्ट ने कहा कि जब मामले की अंतिम सुनवाई को तैयार हैं तो इनकम टैक्स का नोटिस जारी हो या नहीं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. आपको बता दें कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और ऑस्कर फर्नांडिस ने वित्तीय वर्ष 2011-2012 के लिए टैक्स के पुनर्मूल्यांकन की मांग को लेकर जारी किए गए इन्कम टैक्स नोटिस को चुनौती दी है. कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश पी. चिदंबरम ने कहा कि यह सिर्फ शेयर ट्रांसफर का मामला है. इसे आय नहीं कहा जा सकता है. आपको बता दें कि 9 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मामले में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को करारा झटका दिया था. हाई कोर्ट ने आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ सोनिया और राहुल की याचिका खारिज कर दी थी.
नेशनल हेराल्ड मामला: कांग्रेस का BJP सरकार पर हमला, मोदी जी अगर आपको राहुल जी से लड़ना है तो सामने से लड़िए
यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली हाईकोर्ट में आयकर विभाग के उस नोटिस को चुनौती दी थी जिसमें वित्तीय वर्ष 2011-2012 के लिए टैक्स के पुनर्मूल्यांकन की मांग को लेकर जारी किए गए इंकम टैक्स नोटिस को चुनौती दी थी. सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तर्ज पर पार्टी के वरिष्ठ नेता आस्कर फर्नांडीज ने भी दिल्ली हाई कोर्ट में यंग इंडिया-नेशनल हेराल्ड लेनदेन आकलन को आयकर विभाग द्वारा फिर से खोलने को चैलेंज किया था. इससे पहले हाई कोर्ट की पीठ ने राहुल के वकीलों द्वारा कोर्ट की कार्यवाही के प्रकाशन या रिपोर्टिंग से मीडिया को रोकने के मौखिक गुजारिश को खारिज कर दिया था. आयरकर विभाग के मुताबिक राहुल गांधी के साल 2011-12 के आयकर आकलन को फिर से खोलने का निर्णय किया गया, क्योंकि उन्होंने उसमें यह जानकारी नहीं दी कि वह 2010 से कंपनी ‘यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' के डायरेक्टर थे.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी को दिल्ली हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत
इससे पहले हाई कोर्ट की पीठ ने राहुल के वकीलों द्वारा कोर्ट की कार्यवाही के प्रकाशन या रिपोर्टिंग से मीडिया को रोकने के मौखिक गुजारिश को खारिज कर दिया था. आयकर विभाग के मुताबिक राहुल गांधी के साल 2011-12 के आयकर आकलन को फिर से खोलने का निर्णय किया गया, क्योंकि उन्होंने उसमें यह जानकारी नहीं दी कि वह 2010 से कंपनी ‘यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' के डायरेक्टर थे.
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