नासिक में सुखोई लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
नासिक:
भारतीय वायु सेना में शामिल होने के लिए प्रस्तावित एक सुखोई विमान बुधवार को सुबह नासिक के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया. हालांकि, इसमें सवार दोनों पायलट इससे सुरक्षित बाहर निकल आए. एचएएल ने दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए एक जांच बोर्ड का गठन किया है.
पुलिस ने बताया कि इस दुर्घटना में कोई भी हताहत नहीं हुआ. नासिक से 25 किमी दूर अंगूर के एक बाग के पास जमीन पर विमान के गिरने से पहले दोनों ही पायलट सुरक्षित रूप से बाहर निकल गए. उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा पूरी तरह विकसित किया जा रहा बहुउद्देशीय सुखोई सु-30 एमकेआई लड़ाकू विमान शहर के पास एचएएल हवाईपट्टी से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया. एचएएल ने कहा कि दुर्घटना के सटीक कारण का पता लगाने के लिए एक जांच बोर्ड का गठन किया गया है.
गौरतलब है कि यह विमान शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर पिम्पलगांव बसवंत कस्बे के पास वावी-ठुशी गांव के एक खेत में दुर्घटनाग्रस्त हुआ. एचएएल ने एक बयान में कहा, ‘‘नासिक स्थित एचएएल में निर्मित सु-30 एमकेआई बुधवार को सुबह 11 बजे ओजार (नासिक) हवाई अड्डे के स्थानीय उड़ान क्षेत्र में एक संक्षिप्त यात्रा के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया.’’ बयान में कहा गया कि विंग कमांडर प्रशांत नायर और स्क्वाड्रन लीडर एल बिस्वाल (फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर) इस विमान में पायलट की भूमिका में थे और दोनों सुरक्षित निकलने में कामयाब रहे.
पुलिस ने बताया कि विमान जिस खेत में दुर्घटनास्थल हुआ वहां काम कर रहे कुछ खेत मजदूर छर्रे लगने के कारण घायल हो गए और उन्हें ग्रामीण अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि विमान सुबह 11 बजकर पांच मिनट पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ.
सुखोई सू-30एमकेआई विमान हर मौसम में हवा से हवा में और हवा से सतह पर मार करने में सक्षम है. भारतीय वायुसेना ने 1990 के दशक में पहली बार एसयू-30 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था. उसके बाद से कम से कम एक दर्जन दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. इनमें से ज्यादातर हादसे तकनीकी खामी के कारण हुए हैं.
इस बीच, विमान के उत्पादन में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दुर्घटनाग्रस्त हुआ सुखोई विमान इस साल नासिक में एचएएल के विमान विनिर्माण प्रभाग में उत्पादित विमानों के पहले बैच में शामिल था. अधिकारी ने बताया, ‘आम तौर पर नई स्क्वाड्रन के लिए करीब 12 विमान बनाए जाते हैं और 300 करोड़ रुपये के एक विमान को बनने में करीब तीन साल लगते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘इस विमान ने कई बार उड़ान भरी थी और यह भारतीय वायु सेना में शामिल होने वाला था.’’
अधिकारी ने बताया कि वायुसेना में शामिल होने से पहले ऐसे विमान एचएएल के पायलटों या भारतीय वायुसेना के पायलटों द्वारा उड़ाए जाते हैं.
(इनपुट भाषा से)
पुलिस ने बताया कि इस दुर्घटना में कोई भी हताहत नहीं हुआ. नासिक से 25 किमी दूर अंगूर के एक बाग के पास जमीन पर विमान के गिरने से पहले दोनों ही पायलट सुरक्षित रूप से बाहर निकल गए. उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा पूरी तरह विकसित किया जा रहा बहुउद्देशीय सुखोई सु-30 एमकेआई लड़ाकू विमान शहर के पास एचएएल हवाईपट्टी से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया. एचएएल ने कहा कि दुर्घटना के सटीक कारण का पता लगाने के लिए एक जांच बोर्ड का गठन किया गया है.
गौरतलब है कि यह विमान शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर पिम्पलगांव बसवंत कस्बे के पास वावी-ठुशी गांव के एक खेत में दुर्घटनाग्रस्त हुआ. एचएएल ने एक बयान में कहा, ‘‘नासिक स्थित एचएएल में निर्मित सु-30 एमकेआई बुधवार को सुबह 11 बजे ओजार (नासिक) हवाई अड्डे के स्थानीय उड़ान क्षेत्र में एक संक्षिप्त यात्रा के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया.’’ बयान में कहा गया कि विंग कमांडर प्रशांत नायर और स्क्वाड्रन लीडर एल बिस्वाल (फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर) इस विमान में पायलट की भूमिका में थे और दोनों सुरक्षित निकलने में कामयाब रहे.
पुलिस ने बताया कि विमान जिस खेत में दुर्घटनास्थल हुआ वहां काम कर रहे कुछ खेत मजदूर छर्रे लगने के कारण घायल हो गए और उन्हें ग्रामीण अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि विमान सुबह 11 बजकर पांच मिनट पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ.
सुखोई सू-30एमकेआई विमान हर मौसम में हवा से हवा में और हवा से सतह पर मार करने में सक्षम है. भारतीय वायुसेना ने 1990 के दशक में पहली बार एसयू-30 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था. उसके बाद से कम से कम एक दर्जन दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. इनमें से ज्यादातर हादसे तकनीकी खामी के कारण हुए हैं.
इस बीच, विमान के उत्पादन में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दुर्घटनाग्रस्त हुआ सुखोई विमान इस साल नासिक में एचएएल के विमान विनिर्माण प्रभाग में उत्पादित विमानों के पहले बैच में शामिल था. अधिकारी ने बताया, ‘आम तौर पर नई स्क्वाड्रन के लिए करीब 12 विमान बनाए जाते हैं और 300 करोड़ रुपये के एक विमान को बनने में करीब तीन साल लगते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘इस विमान ने कई बार उड़ान भरी थी और यह भारतीय वायु सेना में शामिल होने वाला था.’’
अधिकारी ने बताया कि वायुसेना में शामिल होने से पहले ऐसे विमान एचएएल के पायलटों या भारतीय वायुसेना के पायलटों द्वारा उड़ाए जाते हैं.
(इनपुट भाषा से)
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