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क्‍या बिहार में छात्रों को उकसाया? प्रशांत किशोर बोले- 'गांधी मैदान किसी के पिताजी का तो है नहीं...'

बिहार की राजधानी पटना में बीपीएससी परीक्षा में अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे छात्रों के बीच रविवार को प्रशांत किशोर पहुंचे, तो बवाल हो गया. पुलिस ने लाठीचार्ज किया और इस दौरान पीके वहां से चले गए. इसके बाद कई सवाल उठे, जिनका जवाब प्रशांत किशोर ने NDTV से बातचीत के दौरान दिया.

प्रशांत किशोर ने क्‍या छात्रों को उकसाया?

नई दिल्‍ली:

जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर द्वारा रविवार को पटना के गांधी मैदान में छात्र संसद का आयोजन किया गया था, जहां काफी बवाल हुआ. पुलिस ने लाठीचार्ज किया. प्रशासन का कहना है कि प्रशांत किशोर ने इजाजत नहीं ली थी. एनडीटीवी से एक खास बातचीत में जब पीके से पूछा गया कि आखिर क्‍यों वह बिना इजाजत के विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे, तो उन्‍होंने कहा-  'गांधी मैदान किसी के पिताजी का तो है नहीं, जो उन्‍हें इजाजत लेनी पड़ी.' बता दें कि बीपीएससी री-एग्जाम की मांग को लेकर अभ्यर्थी पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. 

...इसलिए प्रदर्शन में शामिल हुआ

प्रशांत किशोर पर छात्रों को उकसाने के आरोप लग रहे हैं, लेकिन उन्‍होंने कहा, 'मैं किसी प्रदर्शन में शामिल नहीं होता हूं. पहले 10 दिन तक छात्रों के प्रदर्शन में शामिल नहीं था. मेरा मानना था कि सरकार और छात्र का मामला है, उसी स्तर पर बात होनी चाहिए. हम इसलिए शामिल हुए क्योंकि 5 दिन पहले प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने दौड़ाकर मारा. गरीब घर से आने वाले एक बच्चे सोनू यादव ने आत्महत्या भी कर ली. इसके बाद मुझे लगा कि हमें उनके साथ खड़ा होना चाहिए. धरने पर बैठे छात्रों पर गलत एफआईआर नहीं होनी चाहिए. इसीलिए मैंने धरना स्‍थल पर जाने का निर्णय किया था. हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे.'  

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परमिशन की क्‍यों जरूरत..?

प्रशासन की इजाजत न मिलने के सवाल पर प्रशांत किशोर ने भड़कते हुए कहा, 'कहीं पांच हजार बच्चों को मिलना है, तो वह कहां मिलेंगे. किस बच्चे के पास इतनी खुली जगह है कि जहां पांच बच्चे मिल सकते हैं. गांधी मैदान सार्वजनिक जगह है. वहां पर हजारों लोग रोज टहलने आते हैं. अगर उतने बड़े गांधी मैदान के एक कोने में पांच हजार छात्र मिलकर बात कर रहे हैं, तो उसके लिए किस परमिशन की जरूरत है? और क्यों परमिशन की जरूरत होनी चाहिए. गांधी मैदान किसी के पिताजी का तो है नहीं. बिहार के लोगों का है. बिहार के उन लोगों का है, जो शांतिपूर्वक प्रदर्शन करना चाहते हैं. छात्र वहां गांधी मूर्ति के नीचे छह घंटे बैठे.

आखिर हुआ क्‍याा था...

बता दें कि रविवार को प्रदर्शन की अनुमति न मिलने के बावजूद प्रशांत किशोर अपने समर्थक छात्रों को लेकर गांधी मैदान पहुंचे. गांधी मैदान से प्रशांत किशोर के नेतृत्व में छात्र सीएम आवास का घेराव करने के लिए निकले. रास्ते में प्रशासन के द्वारा उन्हें बार-बार समझाया गया. फिर भी छात्र नहीं माने और बैरिकेडिंग तोड़ कर आगे निकलने लगे. वहीं प्रशांत किशोर बीच रास्ते से लौटे और गांधी मूर्ति के पास बैठ गए और वहां से निकल गए. प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस प्रशासन ने बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज और वाटर कैनन का प्रयोग किया.

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