गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने जम्मू-कश्मीर में बाढ़ त्रासदी से निपटने में उमर अब्दुल्ला सरकार की नाकामी पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। कश्मीर बाढ़ त्रासदी पर संसद में पेश अपनी ताज़ा रिपोर्ट में संसदीय समिति ने कहा है कि राज्य सरकार को समय पर चेतावनी दे दी गई थी कि सितंबर के पहले हफ्ते में औसत से काफी ज़्यादा बारिश होने वाली है, लेकिन राज्य सरकार ने एहतियाती कदम नहीं उठाए। राज्य सरकार की इस विफलता की वजह से काफी जान-माल का नुकसान हुआ। साथ ही, राज्य में इस प्राकृतिक त्रासदी से निपटने के लिए ज़रूरी ढ़ांचा भी तैयार नहीं था।
संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि बाढ़ पीड़ितों को जो मुआवज़ा दिया गया वह काफी कम है। समिति के मुताबिक, कश्मीर में अप्रत्याशित बाढ़ की वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था चरमरा गई और जिन लोगों का कारोबार बर्बाद हुआ उन्हें तुरंत राहत दी जानी चाहिये।
रिपोर्ट में बाढ़ में मारे गए मवेशियों का भी सवाल उठाया गया है। समिति ने खुलासा किया है कि ना गृह मंत्रालय ने और ना राज्य सरकार ने बाढ़ से हुए नुकसान पर अपनी रिपोर्ट में मारे गए मवेशियों का ज़िक्र किया। समिति ने सुझाव दिया है कि राज्य के लिए तैयारी की जा रही पुनर्वास नीति में मवेशियों के नुकसान का भी ज़िक्र होना चाहिए, क्योंकि राज्य की अर्थव्यवस्था में उनकी अहम भूमिका है।
समिति ने आगाह किया है कि जम्मू-कश्मीर सामरिक दृष्टिकोण से संवेदनशील राज्य है इसलिए उसके पुनर्निमाण में देरी नहीं की जानी चाहिये। समिति ने केंद्र सरकार को सतर्क करते हुए कहा है कि राज्य के पुनर्निमाण में अपनी ज़िम्मेदारी से नहीं बच सकती ये कहते हुए कि ये राज्य़ सरकार की ही प्राथमिक ज़िम्मेदारी है।
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