नई दिल्ली:
उत्तरी लद्दाख के बर्तसे क्षेत्र में एक बार फिर भारत और चीनी सेनाएं आमने-सामने आ गई हैं। दोनों तरफ सेना का जमावड़ा देखा जा सकता है। दोनों सेनाओं के बीच ताजा विवाद उस समय हुआ जब भारतीय टुकड़ी ने चीनी सैनिकों द्वारा बनाए गए वॉच टावर (निगरानी के लिए बनाया गया टावर) को ध्वस्त कर दिया।
टकराव की यह स्थिति उसी इलाके में पैदा हुई थी जहां पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अप्रैल 2013 में कैंप लगाए थे और जिसकी वजह से तीन हफ्ते तक गतिरोध की स्थिति बनी हुई थी। बताया जाता है कि चीन की नजर इस इलाके पर है। यह इलाका काराकोरम राजमार्ग की निगरानी में भारत को लाभ पहुंचाता है। काराकोरम राजमार्ग चीन द्वारा अवैध कब्जे में लिए गए क्षेत्र को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से जोड़ता है।
चीनी आर्मी यहां आपसी रजामंदी से मानी गई पैट्रोलिंग लाइन के बेहद करीब इस वॉच टावर को बना रही थी। इसे भारतीय सेना और भारत-तिब्बत पुलिस बल (आईटीबीपी) जवानों ने शुक्रवार को गिरा दिया।
इसके बाद पैट्रोलिंग लाइन के दोनों ओर सेनाए एक-दूसरे के आमने-सामने आ गईं। भारत और चीन दोनों तरफ से पैट्रोलिंग लाइन के पास और सैनिकों को भेजा गया है। इससे क्षेत्र में दोनों ओर सेनाओं का बड़ा जमावड़ा देखने को मिल रहा है। चीन बर्तसे को अपना हिस्सा बताता रहा है, जबकि भारत हमेशा इसका विरोध करता है।
इसके अलावा, दौलत बेग ओल्डी में एक अडवांस्ड ग्राउंड लैंडिंग (एजीएल) सुविधा है जिसे अगस्त 2013 में चालू किया गया था। भारतीय वायुसेना ने समुद्र तल से 16614 फुट की उंचाई पर स्थित इस हवाई पट्टी पर एक सी-130जे सुपर हरक्यूलीज परिवहन विमान को उतारने में सफलता पाई थी।
कुटिया बनाए जाने की सूचना आईटीबीपी के जवानों को मिलते ही इस अर्धसैनिक बल और थलसेना का एक संयुक्त गश्ती दल इलाके में भेजा गया और कुटिया को तोड़ डाला गया। सूत्रों ने बताया कि फ्लैग मीटिंग की कोशिशें सफल नहीं हो सकीं, क्योंकि चीनी पक्ष फ्लैग मीटिंग के लिए तय की गई तारीख पर नहीं आया।
उन्होंने बताया कि पीएलए के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को पीछे धकेलने की कोशिश की थी, जिसे नाकाम कर दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सैनिकों ने चीनी भाषा में लिखे बैनर दिखाकर पीएलए को अपनी सीमा में वापस जाने को कहा।
भारत और चीन 4,000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी एलएसी साझा करते हैं। चीन अरुणाचल प्रदेश के करीब 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अपना दावा जताता है। वह जम्मू-कश्मीर के 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर भी अपना दावा जताता है। दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने इस वाकये पर टिप्पणी से इनकार कर दिया।
टकराव की यह स्थिति उसी इलाके में पैदा हुई थी जहां पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अप्रैल 2013 में कैंप लगाए थे और जिसकी वजह से तीन हफ्ते तक गतिरोध की स्थिति बनी हुई थी। बताया जाता है कि चीन की नजर इस इलाके पर है। यह इलाका काराकोरम राजमार्ग की निगरानी में भारत को लाभ पहुंचाता है। काराकोरम राजमार्ग चीन द्वारा अवैध कब्जे में लिए गए क्षेत्र को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से जोड़ता है।
चीनी आर्मी यहां आपसी रजामंदी से मानी गई पैट्रोलिंग लाइन के बेहद करीब इस वॉच टावर को बना रही थी। इसे भारतीय सेना और भारत-तिब्बत पुलिस बल (आईटीबीपी) जवानों ने शुक्रवार को गिरा दिया।
इसके बाद पैट्रोलिंग लाइन के दोनों ओर सेनाए एक-दूसरे के आमने-सामने आ गईं। भारत और चीन दोनों तरफ से पैट्रोलिंग लाइन के पास और सैनिकों को भेजा गया है। इससे क्षेत्र में दोनों ओर सेनाओं का बड़ा जमावड़ा देखने को मिल रहा है। चीन बर्तसे को अपना हिस्सा बताता रहा है, जबकि भारत हमेशा इसका विरोध करता है।
इसके अलावा, दौलत बेग ओल्डी में एक अडवांस्ड ग्राउंड लैंडिंग (एजीएल) सुविधा है जिसे अगस्त 2013 में चालू किया गया था। भारतीय वायुसेना ने समुद्र तल से 16614 फुट की उंचाई पर स्थित इस हवाई पट्टी पर एक सी-130जे सुपर हरक्यूलीज परिवहन विमान को उतारने में सफलता पाई थी।
कुटिया बनाए जाने की सूचना आईटीबीपी के जवानों को मिलते ही इस अर्धसैनिक बल और थलसेना का एक संयुक्त गश्ती दल इलाके में भेजा गया और कुटिया को तोड़ डाला गया। सूत्रों ने बताया कि फ्लैग मीटिंग की कोशिशें सफल नहीं हो सकीं, क्योंकि चीनी पक्ष फ्लैग मीटिंग के लिए तय की गई तारीख पर नहीं आया।
उन्होंने बताया कि पीएलए के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को पीछे धकेलने की कोशिश की थी, जिसे नाकाम कर दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सैनिकों ने चीनी भाषा में लिखे बैनर दिखाकर पीएलए को अपनी सीमा में वापस जाने को कहा।
भारत और चीन 4,000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी एलएसी साझा करते हैं। चीन अरुणाचल प्रदेश के करीब 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अपना दावा जताता है। वह जम्मू-कश्मीर के 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर भी अपना दावा जताता है। दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने इस वाकये पर टिप्पणी से इनकार कर दिया।
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