यह ख़बर 06 जुलाई, 2014 को प्रकाशित हुई थी

देश के कई हिस्सों पर मंडरा रहा है सूखे का खतरा

नई दिल्ली:

इस वर्ष देश के कई हिस्सों में सूखे का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि कमजोर मॉनसून के अनुमान को आधार मिल रहा है। इससे खाद्य फसलों के उत्पादन में गिरावट तथा पानी एवं बिजली के मोर्चे पर संभावित संकट की आशंका बढ़ी है।

देश भर में पीटीआई ब्यूरो द्वारा एकत्रित की गई रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों में सूखे जैसी स्थिति की आशंका में अभी तक बुवाई शुरू नहीं हो पाई है।

मौसम विभाग के अनुसार अभी तक बारिश 43 फीसदी कम रही है। राज्यों के अधिकारी संभावित हानि की स्थिति से निकलने के प्रति सावधान हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि मॉनसून की स्थिति में देर से सुधार होगा और पूर्वार्द्ध की हानि की भरपाई होगी।

कमजोर मॉनसून की खबरों के कारण पहले ही खाद्य जिंसों, सब्जियों और फलों की कीमतों में तेजी आई हुई है। केंद्र इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास कर रहा है। इसके अलावा यदि राज्यों द्वारा सूखे की घोषणा की जाती है, तो किसानों को डीजल और बीज सब्सिडी जैसे कई उपायों की योजना बनाई जा रही है। दूसरी ओर सरकार ने आवश्यक जिंस कानून में संशोधन जैसे कई सारे उपाय किए हैं, ताकि जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

सत्ता संभालने के तुरंत बाद चुनौतियों का सामना करते हुए केंद्र की नई सरकार ने राज्यों के सहयोग से बेहतर की उम्मीद करते हुए भी 500 प्रमुख उत्पादक जिलों के लिए आपदा योजना बनाई गई है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बुवाई अभियान के अलावा कमजोर बारिश ने देश भर में जल संभरण स्तर को प्रभावित किया है। गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के जलाशयों में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में पानी के कम स्तर की खबर हैं।

सतर्कता का रुख अख्तियार करते हुए भारतीय मौसम विभाग ने कमजोर मॉनसून यानी दीर्घावधिक औसत का 93 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। हालांकि मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी संस्था स्काईमेट ने कहीं अधिक गंभीर तस्वीर पेश की है। स्काईमेट ने कहा है कि काफी संभावना है कि देश में इस वर्ष सूखे की स्थिति बने। उत्तर पश्चिम भारत में सूखे की आशंका 80 प्रतिशत तक अधिक है।


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